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This Article is From Jun 17, 2011

रिव्यू : कैसी है फिल्म 'भिंडी बाजार'...

Mumbai: 'भिंडी बाजार इन्कॉरपोरेशन' साऊथ मुंबई के मुस्लिम बहुल और घनी आबादी वाले इलाके में पलने वाले जेबकतरों के गैंग पर है। गैंग के मुखिया मामू यानी पवन मल्होत्रा, जिनके अंडर में फतेह (प्रशांत नारायणन) और दर्जी (गौतम शर्मा) जैसे गहरे दोस्त काम करते हैं। दोनों दोस्तों की एक ही ख्वाहिश है मामू की पोजिशन हासिल करना। एक तरफ इनके ऊंचे सपने हैं, तो दूसरी तरफ कट्टर दुश्मन पांडे यानी पियूष मिश्रा की गैंग। डायरेक्टर अंकुश भट्ट की यह फिल्म पॉकेटमारों की बुलंदियों को छूने की चाहत और इस रास्ते में होने वाले धोखे, साजि़श और दूसरे गिरोहों से खूनी रंजिशों पर है। जहां ऊंचे मकसद हर चीज को कुचलते हैं, चाहे वह दोस्ती हो या रिश्ते। ज्यादातर चालों-कुचालों को शतरंज खेल रहे दो खिलाड़ी केके मेनन और गौतम शर्मा फ्लैशबैक में जाकर देखते हैं और अच्छी-भली कहानी में बार-बार टपक कर यही दोनों खिलाड़ी सबसे ज्यादा रोड़े अटकाते हैं। शुरुआत में पॉकेटमारी के सीन्स कुछ ज्यादा ही खींचे गए हैं, लेकिन फिर कहानी आगे बढ़ जाती है।कुछ बोल्ड सीन्स, बोल्ड डायलॉग्स और गालियां हैं, जो क्रिमिनल वर्ल्ड में आम बात हैं। अच्छा कैमरावर्क और रियलिस्टिक लोकेशन्स हैं। कहानी में ढेरों मोड़ हैं। कटरीना लोपेज समेत बाकी कलाकारों के डांस नंबर्स ग्लैमर एलिमेंट में इजाफा करते हैं। फिल्म में प्रशांत नारायणन, पवन मल्होत्रा, पियूष मिश्रा, दीप्ति नवल जैसे बेहतरीन परफॉमर्र हैं। कुछ हटकर बनी ;भिंडी बाजार' कोई ग्रेट फिल्म नहीं है, लेकिन सबसे अच्छी बात है कि यह लगातार इंगेज रखती है। गर्दन घुमाने का मौका नहीं देती। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है- 3 स्टार।

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