'द लीजेंड ऑफ लक्ष्मी प्रसाद' के लॉन्च के मौके पर ट्विंकल खन्ना
मुंबई:
बॉलीवुड अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना का कहना है कि उन्हें नारीवादी होने पर गर्व है और इसका गलत मतलब निकालने वाले लोग ‘मूर्ख’हैं. ट्विंकल अपनी किताब ‘दि लीजेंड ऑफ लक्ष्मी प्रसाद’ के विमोचन के अवसर पर बोल रही थीं.
फिल्म निर्माता करण जौहर के यह कहने पर कि क्या उनकी किताब नारीवादी प्रकृति की है, ट्विकल ने उन्हें बीच में टोक दिया और कहा, ‘मैं कुछ कहना चाहती हूं. बहुत से पत्रकार, जिन्होंने यह किताब पढ़ी है, वह नारीवादी होने के सवाल पर मेरी हिचकिचाहट के बारे में समझ सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘वह इस सवाल पर भी बिल्कुल ऐसे ही व्यवहार करते हैं कि जैसे उनसे पूछा गया हो कि क्या वह जस्टिन बीबर के फैन है? नारीवादी होने का मतलब सभी के लिए समानता से है और जो लोग ऐसा नहीं मानते, या महिलावादी होने पर भरोसा नहीं करते है, वे मूर्ख हैं.’ अभिनेत्री ने कहा कि अब महिला मर्दों द्वारा बनाए गए पिंजड़े से बाहर आने का प्रयास कर रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘दुनियाभर की महिलाएं अपनी जगह पाने के लिए बड़ी मेहनत कर रही हैं, जो वैसे भी उनकी होनी ही चाहिए, लेकिन पुरुषों ने उन्हें एक पिंजड़े में कैद कर दिया है और वह बाहर आने का प्रयास भी नहीं कर रही हैं.’
उन्होंने कहा कि सामाजिक मानदंडो के लिए महिलाओं को अक्सर एक निश्चित तरीके से प्रतिबंधित किया गया है और ऐसा माना जाता है कि महिलाओं को जीवन में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
फिल्म निर्माता करण जौहर के यह कहने पर कि क्या उनकी किताब नारीवादी प्रकृति की है, ट्विकल ने उन्हें बीच में टोक दिया और कहा, ‘मैं कुछ कहना चाहती हूं. बहुत से पत्रकार, जिन्होंने यह किताब पढ़ी है, वह नारीवादी होने के सवाल पर मेरी हिचकिचाहट के बारे में समझ सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘वह इस सवाल पर भी बिल्कुल ऐसे ही व्यवहार करते हैं कि जैसे उनसे पूछा गया हो कि क्या वह जस्टिन बीबर के फैन है? नारीवादी होने का मतलब सभी के लिए समानता से है और जो लोग ऐसा नहीं मानते, या महिलावादी होने पर भरोसा नहीं करते है, वे मूर्ख हैं.’ अभिनेत्री ने कहा कि अब महिला मर्दों द्वारा बनाए गए पिंजड़े से बाहर आने का प्रयास कर रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘दुनियाभर की महिलाएं अपनी जगह पाने के लिए बड़ी मेहनत कर रही हैं, जो वैसे भी उनकी होनी ही चाहिए, लेकिन पुरुषों ने उन्हें एक पिंजड़े में कैद कर दिया है और वह बाहर आने का प्रयास भी नहीं कर रही हैं.’
उन्होंने कहा कि सामाजिक मानदंडो के लिए महिलाओं को अक्सर एक निश्चित तरीके से प्रतिबंधित किया गया है और ऐसा माना जाता है कि महिलाओं को जीवन में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
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