मुंबई:
इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को ख़ास बनाने के लिए अभिनेता अर्जुन कपूर ने अपनी फ़िल्म 'की एंड का' की टीम को पार्टी दी। इस पार्टी में अर्जुन ने फ़िल्म की अपनी भूमिका के अनुरूप खाना बनाने के कुछ नमूने भी पेश किए। साथ ही महिला दिवस को यादगार बनाने के लिए अर्जुन कपूर ने महिलाओं के साथ डांस भी किया।
दरअसल, ये फ़िल्म का प्रचार भी था, क्योंकि इस फ़िल्म में अर्जुन कपूर एक ऐसे पुरुष की भूमिका निभा रहे हैं जो घर में रहकर ख़ुशी-ख़ुशी घर संभालता है। इस युवा की पत्नी की भूमिका में हैं करीना कपूर जो बाहर काम करती हैं और पैसे कमाती हैं। यही वजह है कि महिला दिवस के दिन ख़ास तौर इस फ़िल्म का प्रचार किया गया, क्योंकि ये फ़िल्म पुरुष और महिला को बांटती नहीं, बल्कि एक सूत्र में बांधती है और महिला-पुरुष के बीच बराबरी की बात करती है।
इस मौके पर अर्जुन ने कहा कि 'अब काफ़ी कुछ बदल चुका है। फिर भी कहूंगा कि जिसे जो अच्छा लगे, वो करे। अगर कोई लड़की घर चलाना चाहती है या बाहर काम करना चाहती है या दोनों करना चाहती है तो उसे इसकी इजाज़त और सपोर्ट मिलना चाहिए। हमारी फ़िल्म भी इसी विषय पर बात कर रही है।'
वहीं, करीना ने मीडिया की तरफ इशारा करते हुए कहा कि 'आज की महिलाएं किसी से पीछे नहीं है और यहां मौजूद मीडियाकर्मियों में भी लड़कियों की भारी संख्या है।'
इस फ़िल्म में बदलते दौर और बदलते समाज की एक सच्चाई नज़र आएगी, जिसमें मर्द और औरत समाज के तय किए गए ढर्रे से अलग एक ज़िन्दगी जीते हैं।
दरअसल, ये फ़िल्म का प्रचार भी था, क्योंकि इस फ़िल्म में अर्जुन कपूर एक ऐसे पुरुष की भूमिका निभा रहे हैं जो घर में रहकर ख़ुशी-ख़ुशी घर संभालता है। इस युवा की पत्नी की भूमिका में हैं करीना कपूर जो बाहर काम करती हैं और पैसे कमाती हैं। यही वजह है कि महिला दिवस के दिन ख़ास तौर इस फ़िल्म का प्रचार किया गया, क्योंकि ये फ़िल्म पुरुष और महिला को बांटती नहीं, बल्कि एक सूत्र में बांधती है और महिला-पुरुष के बीच बराबरी की बात करती है।
इस मौके पर अर्जुन ने कहा कि 'अब काफ़ी कुछ बदल चुका है। फिर भी कहूंगा कि जिसे जो अच्छा लगे, वो करे। अगर कोई लड़की घर चलाना चाहती है या बाहर काम करना चाहती है या दोनों करना चाहती है तो उसे इसकी इजाज़त और सपोर्ट मिलना चाहिए। हमारी फ़िल्म भी इसी विषय पर बात कर रही है।'
वहीं, करीना ने मीडिया की तरफ इशारा करते हुए कहा कि 'आज की महिलाएं किसी से पीछे नहीं है और यहां मौजूद मीडियाकर्मियों में भी लड़कियों की भारी संख्या है।'
इस फ़िल्म में बदलते दौर और बदलते समाज की एक सच्चाई नज़र आएगी, जिसमें मर्द और औरत समाज के तय किए गए ढर्रे से अलग एक ज़िन्दगी जीते हैं।
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