नई दिल्ली:
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि अगले 48 घंटों में उसे नए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मुख्य दर सहित इसके बुनियादी मुद्दों पर राज्यों से समर्थन मिल जाएगा.
- वित्तमंत्री अरुण जेटली हर राज्य के वित्तमंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं, जो इस पर निर्णय लेने वाले जीएसटी परिषद का हिस्सा हैं.
- जीएसटी के तहत राज्य की सीमा में दाखिल होने पर वस्तुओं पर लगने वाला कर खत्म हो जाएगा और इससे पूरा भारत एकल बाजार के रूप में एकीकृत हो जाएगा.
- केंद्र ने इसमें चार टैक्स स्लैब की सलाह दी है, जो कि न्यूनतम 6 फीसदी और अधिकतम 26 फीसदी होगा, जो कि एक चौथाई कर-योग्य वस्तुओं (टैक्सेबल आइटम) पर लागू होगा.
- प्रस्तावित स्लैब- 6,12,18 और 26 फीसदी का रखा गया है. केंद्र ने सुझाव दिया है कि महंगाई को काबू में रखने के लिए खाद्य पदार्थों को इससे बाहर रखा जाए. इसमें एफएमसीजी और एफएमसीडी उत्पादों पर टैक्स मौजूदा 31 फीसदी से घटकर 26 फीसदी हो जाएगा.
- फैन्सी कार, सिगरेट और सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे विलासिता के सामानों (लक्जरी गुड्स) पर 26 फीसदी टैक्स पर अतिरिक्त सेस लगाने का भी प्रस्ताव था, लेकिन इसे विरोध के बाद वापस ले लिया गया. केरल के वित्तमंत्री थॉमस आइज़ैक का कहना है कि यह नया सेस जीएसटी की मूल भावना - एक समान टैक्स- के खिलाफ था.
- इस नई सेस श्रेणी में आने वाली वस्तुएं और सेवाएं कुल टैक्सेबल चीज़ों का करीब एक चौथाई है. (पढ़ें- संघवाद के लिए बड़ी राजनीतिक चुनौती है GST...)
- केंद्र जीएसटी लागू होने पर राज्यों को राजस्व में होने वाली हानि का पांच साल तक भरपाई करने पर राजी है. हालांकि मुआवजे की सीमा को लेकर अब भी विवाद है, जिस जीएसटी परिषद विचार कर रही है. परिषद का तीन दिनों का सत्र गुरुवार को खत्म हो रहा है.
- कुछ राज्यों ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि वर्तमान में सेवा कर चुका रही 11 लाख व्यापारिक इकाइयों का व्यापार मूल्यांकन उनकी बजाय केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा, जो अनुचित एवं उनके अधिकारों का हनन है. केंद्र का कहना है कि समय के साथ राज्यों के अधिकारियों को प्रशिक्षित उन्हें यह जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी.
- केंद्र जीएसटी परिषद की इस बैठक में इस तमाम विवादों को हल कर टैक्स दरों पर आम सहमति बनाना चाहती है, ताकि इसे अगले महीने संसद के शीतकालीन सत्र में रखा जा सके.
- इससे पहले मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने चेतावनी दी थी कि सरकार अगर जीएसटी में 18 फीसदी से अधिक टैक्स का प्रस्ताव रखती है, वह इस पर वीटो करेगी. इस प्रस्ताव के पारित होने के लिए कांग्रेस का समर्थन जरूरी है, क्योंकि सत्ताधारी गठबंधन राज्यसभा में अल्पमत में है.