विजय गोखले ने विदेश सचिव का पदभार संभाला
नई दिल्ली:
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चीन के साथ डोकलाम गतिरोध को हल कराने में अहम भूमिका निभाने वाले अनुभवी राजनयिक विजय केशव गोखले ने सोमवार को विदेश सचिव का पदभार संभाला. वह एस जयशंकर का स्थान लेंगे. उन्होंने जयशंकर के साथ मिलकर अमेरिका और जापान को इस मामले में भारतीय रुख से अवगत कराया था और इनका समर्थन हासिल कर चीन पर दबाव बनाया था. गोखले जर्मनी और मलेशिया के भारतीय दूतावासों में सेवा दे चुके हैं. हांगकांग, हनोई और न्यूयार्क के भारतीय राजनयिक मिशनों में भी वह अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
विदेश सचिव विजय गोखले के बारे में 10 बातें
- विजय गोखले भारतीय विदेश सेवा के 1981 बैच के अधिकारी गोखले फिलहाल विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) हैं.
- गोखले को चीन का विशेषज्ञ माना जाता है. उन्होंने पिछले साल भारत और चीनी सेनाओं के बीच डोकलाम में 73 दिन लंबे गतिरोध को हल कराने के लिए बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी.
- गोखले 20 जनवरी 2016 से 21 अक्तूबर 2017 तक चीन में भारत के राजदूत थे. इसके बाद वह नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के मुख्यालय आ गए.
- गोखले का विदेश सचिव के तौर पर दो वर्ष का कार्यकाल होगा.
- वह अक्तूबर 2013 से जनवरी 2016 तक जर्मनी में भारत के शीर्ष राजनयिक के तौर पर सेवा दी है. उन्होंने हांगकांग, हनोई और न्यूयॉर्क में भारतीय मिशनों में काम किया है.
- वह विदेश मंत्रालय में चीन और पूर्वी एशिया के निदेशक और पूर्वी एशिया के सचिव के पद भी रह चुके हैं.
- इस महीने के शुरू में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने विदेश सचिव पद पर गोखले की नियुक्ति को मंजूरी दी थी.
- जयशंकर को वर्ष 2015 में विदेश सचिव नियुक्त किया गया था. उन्हें उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले दो वर्ष का कार्यकाल दिया गया था. उन्होंने सुजाता सिंह की जगह ली थी.
- 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी जयशंकर के कार्यकाल को पिछले साल जनवरी में एक साल का विस्तार दिया गया था.
- नियमों के मुताबिक, विदेश सचिव, रक्षा सचिव, गृह सचिव, सीबीआई निदेशक और खुफिया ब्यूरो (आईबी) के निदेशक के पदों पर नियुक्त होने वाले अधिकारी का कार्यकाल दो साल निर्धारित है.
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