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तमिलनाडु : EPS होंगे AIADMK के नए 'बॉस', OPS को पार्टी और सभी पदों से किया गया बर्खास्त; 10 बातें

एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस) तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक के अंतरिम महासचिव होंगे. दरअसल, सोमवार को दो शीर्ष नेता ओपीएस और ईपीएस के बीच पार्टी में सिंगल लीडरशीप लागू के करने को लेकर जारी विवाद के बीच पूर्व मुख्यमंत्री ओपीएस को बड़ा झटका लगा था.

ओपीएस दिवंगत जयललिता की पसंद रहे हैं. (फाइल)

नई दिल्ली:

एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस) तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक के अंतरिम महासचिव होंगे. दरअसल, सोमवार को दो शीर्ष नेता ओपीएस और ईपीएस के बीच पार्टी में सिंगल लीडरशीप लागू के करने को लेकर जारी विवाद के बीच पूर्व मुख्यमंत्री ओपीएस को बड़ा झटका लगा था.कोर्ट ने ईपीएस द्वारा बैठक बुलाए जाने पर रोक लगाने की ओपीएस के मांग को खारिज करते हुए बैठक करने की अनुमति दी थी. इसी बैठक में ईपीसी को अंतरिम महासचिव चुना गया.

  1. AIADMK जनरल काउंसिल की बैठक ने ओ पनीरसेल्वम को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और कोषाध्यक्ष के पद से निष्कासित कर दिया. पन्नीरसेल्वम के समर्थक भी निष्कासित किए गए.
  2. बाता दें कि मद्रास उच्च न्यायालय आज सुबह 9 बजे अन्नाद्रमुक के शीर्ष नेता ओ पनीरसेल्वम या ओपीएस द्वारा एक महत्वपूर्ण पार्टी बैठक को रोकने के लिए दायर याचिका पर अपना आदेश सुनाया था. फैसला ईपीएस के पक्ष में गया. इसके बाद ईपीएस ने बैठक बुलाई, जिसमें वे अंतरिम महासचिव चुने गए.
  3. बुधवार (6 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट ने टीम ईपीएस को कानून का पालन करते हुए बैठक को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी, जबकि टीम ओपीएस ने तर्क दिया था कि बैठक का संचालन तकनीकी रूप से अवैध है और अमान्य है. उनके वकील ने दावा किया था कि पार्टी नियमों के अनुसार, केवल कॉर्डिनेटर और ज्वाइंट कॉर्डिनेटर ही पार्टी की आम परिषद की बैठक बुला सकते हैं.
  4. ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) और एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस), के बीच कई महीनों से पार्टी के वर्किंग फॉर्मेट को लेकर विवाद जारी है. ओपीएस की ओर से मौजूदा संयुक्त नेतृत्व मॉडल को जारी रखने के लिए जोर दिया जा रहा है. लेकिन ईपीएस को पार्टी जनरल के रूप में एकल नेतृत्व तलाश हैं. 
  5. बता दें कि ईपीएस पार्टी के आम परिषद में लगभग 2,000 से अधिक लोगों के समर्थन को लेकर आश्वस्त हैं, खुद को पार्टी के महासचिव और एक पावर सेंटर के रूप में देखना चाहते हैं, जबकि ओपीएस चाहते हैं कि मौजूदा दोहरा नेतृत्व जारी रहे.
  6. ओपीएस दिवंगत जयललिता की पसंद रहे हैं. दो बार उन्हें स्टैंड-इन चीफ मिनिस्टर बनने का मौका मिला था, जब, जयललिता को दोषी करार होने पर पद छोड़ना पड़ा था. जयललिता के निधन से ठीक पहले उन्होंने तीसरी बार राज्य की कमान संभाली थी.
  7. हालांकि, जयललिता की मौत के बाद पार्टी की कमान संभालने वाली उनकी दोस्त शशिकला ने ओपीएस को सीएम पद से बेदखल कर दिया और आय से अधिक संपत्ति के मामले में (जिसमें जयललिता मुख्य आरोपी थीं) जेल जाने से पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ईपीएस को बैठा दिया. 
  8. बाद में एक नाटकीय मोड़ में, दोनों नेताओं ने समझौता किया और शशिकला को ही AIADMK से निष्कासित कर दिया और दोहरे नेतृत्व पर सहमत होकर काम करने लगे.
  9. अब टीम ईपीएस का कहना है कि इस मॉडल ने पार्टी में कोई भी निर्णय लेना मुश्किल बना दिया है. नतीजतन, पार्टी को लगातार तीन चुनावी हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में सिंगल-लीडरशीप के फॉर्मुले पर पार्टी काम करे. 
  10. ईपीएस ने अपने प्रतिद्वंदी ओपीएस से यहां तक ​​साफ कह दिया है कि वह अब पार्टी के संयोजक नहीं हैं। मुख्यमंत्री के रूप में अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान, ईपीएस ने अपनी स्थिति मजबूत की और पार्टी को अपने नियंत्रण में ले लिया. इस बीच, पार्टी के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय पर लगाम लगाने के लिए ओपीएस द्वारा दायर एक याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई हो रही है.

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