संसद में शुक्रवार को देशद्रोह के आरोपी जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के मुद्दे पर बहस के दौरान ज्यादातर समय चर्चा केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के मां दुर्गा और महिषासुर को लेकर विवादास्पद बयान पर केंद्रित रही। मामले से जुड़ी खास बातें...
विपक्ष ने शुक्रवार को एक सुर में इस मसले पर स्मृति ईरानी से माफी की मांग की। इस मामले में विवाद तब बढ़ा जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने गुरुवार को वह 'पर्चा' पढ़ा जो कथित तौर पर जेएनयू परिसर में वितरित किया गया था।
स्मृति ईरानी गुरुवार को जेएनयू विवाद और रोहित वेमुला से जुड़े मामले में बहस के दौरान विपक्ष के इस आरोप का जवाब दे रही थीं कि सरकार इसके खिलाफ असंतोष को दबाने का प्रयास कर रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जेएनयू के छात्रों द्वारा दानव महिषासुर के समर्थन में कार्यक्रम को आयोजन किया जाता है, इससे जेएनयू छात्रों के एक वर्ग की ओछी मानसिकता का पता चलता है।
स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को कहा, 'ये सरकार के दस्तावेज नहीं हैं। मैंने वह 'पर्चा' इसलिए पढ़ा क्योंकि मुझे इस बारे में प्रमाण देने को कहा गया था। मैं यह भी कहना चाहूंगी कि मैं मां दुर्गा की पूजा करती हूं।'
बहस के दौरान माकपा नेता सीताराम येचुरी ने सवाल उठाया कि सदन में देवताओं और दानवों के बारे में चर्चा किसलिए की जा रही है। देश में आखिर इस तरह का माहौल क्यों बनाया जा रहा है।'
रोहित वेमुला मामले में सरकार पर हमला बोलते हुए बीएसपी प्रमुख मायावती ने स्मृति ईरानी को उस बयान की याद दिलाई जिसमें स्मृति ने कहा था, 'आप मुझे जवाब देने दीजिये यदि आप संतुष्ट नहीं होंगी तो अपना सिर काटकर उनके चरणों में रख दूंगी।' मायावती ने कहा, 'मैं जवाब से संतुष्ट नहीं हूं, अब क्या आप अपना वादा निभाएंगी।'
इस पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने जवाब दिया, 'मैं बसपा कार्यकर्ताओं से अपील करती हूं कि आएं और मेरा सिर ले जाएं।'
इससे पहले, शुक्रवार सुबह विपक्ष ने कहा था कि बयान के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी माफी मांगे नहीं तो वे सदन नहीं चलने देंगे। इस पर राज्यसभा के उप सभापति पीजे कुरियन ने कहा कि वे बयान की जांच करेंगे और यदि ईशनिंदा जैसी कोई बात होगी तो इसे हटा दिया जाएगा।
पिछले तीन दिनों से जेएनयू विवाद और रोहित वेमुला मामले को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच बहस जारी है। गरमागरम बहस और कार्यवाही स्थगित होने के कारण जीएसटी बिल सहित कई अहम विधेयकों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।