जल्लीकट्टू पर बैन के खिलाफ चेन्नई में आज 12 घंटे का बंद है...
नई दिल्ली/चेन्नई:
मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने शुक्रवार को बयान दिया कि जल्लीकट्टू जल्द ही तमिलनाडु में लौटेगा क्योंकि उनकी सरकार जल्दी ही अध्यादेश लाने वाली है. इसके ड्राफ्ट को गृह मंत्रालय भेज दिया गया है. उन्होंने चेन्नई के मरीना बीच पर चार दिन से जमा हुए हजारों लोगों से प्रदर्शन रोकने की अपील की है.
अहम जानकारियां -
- शुक्रवार को केंद्र सरकार के निवेदन ने सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू को लेकर अपने फैसले को कम से कम एक हफ्ते के लिए टाल दिया है.
- मुख्यमंत्री दिल्ली में रात भर रुके जहां उन्होंने इस मसले पर अध्यादेश लाने के विकल्प पर वकीलों से संपर्क किया. इससे पहले वह गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी से भी मिले थे जिन्होंने कहा था कि मामला क्योंकि कोर्ट में है इसलिए केंद्र सरकार अध्यादेश नहीं ला सकती.
- तमिलनाडु सीएम ने कहा है कि ड्राफ्ट अध्यादेश तैयार हो चुका है जिसे गृहमंत्रालय भेजा गया है जहां से उसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजा जाएगा. उनकी मंजूरी मिलने का बाद राज्य सरकार अध्यादेश का आदेश दे सकती है.
- तमिलनाडु सरकार को उम्मीद है कि अध्यादेश राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ रविवार तक उन्हें वापस मिल जाएगा.
- मरीना बीच पर शुक्रवार को हजारों की तादाद में लोग जमा हैं. चेन्नई में बंद का ऐलान किया गया है और स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों की बंद किया गया है. सीएम ने अनुरोध किया है कि प्रदर्शन को बंद किया जाए लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक जल्लीकट्टू को हटाने के लिए औपचारिक आदेश नहीं आ जाता, वहां से कोई नहीं हिलेगा.
- जल्लीकट्टू के पक्ष में तमिल जगत के कई बड़े कलाकारों ने भी समर्थन दिखाया है. संगीतकार ए आर रहमान ने शुक्रवार को उपवास रखा है. रजनीकांत और कमल हासन पहले ही इस प्रतिबंध पर विरोध जता चुके हैं. आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर और सद्गुरू जैसे नाम भी इस आंदोलन में आगे आए हैं.
- सांडों के साथ खेले जाने वाले खेल जल्लीकट्टू को लेकर पिछली तीन रातों से चेन्नई के मरीना बीच पर भीड़ जुटी है. इस विरोध का शुक्रवार को चौथा दिन है. जो लोग लौट गए हैं, वह आंदोलनकारियों के लिए पानी और खाना लेकर आ रहे हैं.
- देश और दुनिया भर में फैले तमिल समुदाय के लोग इस विरोद में हिस्सा ले रहे हैं. वह जल्लीकट्टू को तमिल संस्कृति का हिस्सा बता रहे हैं और इस आरोप को दरकिनार कर रहे हैं जिसके मुताबिक इस खेल में सांडों के साथ क्रूरता बरती जाती है.
- यही नहीं प्रदर्शनकारियों ने पशु अधिकारों से जुड़ी संस्था पेटा (People for the Ethical Treatment of Animals) पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. गौरतलब है कि जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने में पेटा का अहम रोल देखा जा रहा है. इस संस्था का आरोप है कि इस खेल के लिए सांडों को नशीले पदार्थ दिए जाते हैं और कभी कभी उनके चेहरे पर मिर्च भी डाली जाती है ताकि वह मैदान पर आक्रमक हो सकें.
- पेटा ने साफ किया है कि जल्लीकट्टू पर आने वाले अध्यादेश को वह कानूनी चुनौती देंगे. पोंगल के वक्त खेले जाने वाले इस खेल को पशु अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में बैन लगा दिया था. बाद में तमिलनाडु सरकार ने याचिका दायर की थी जिसमें फैसले की समीक्षा की बात कही गई थी लेकिन कोर्ट ने उसे भी अस्वीकार कर दिया था. यही नहीं पिछले साल केंद्र सरकार ने इस बाबत एक अधिसूचना जारी की थी जिस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था. सुप्रीम कोर्ट में जल्लीकट्टू मामले पर सुनवाई पूरी हो चकी है और फैसला जल्दी ही सुनाया जाएगा.