प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने मन की बात में सूखे के संकट पर अपने विचार रखे और कहा कि जल संकट से निपटने के लिए सामूहिक प्रयत्नों की जरूरत है। पीएम ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि भयंकर गर्मी ने चारों तरफ सारा मज़ा किरकिरा कर दिया है।
कार्यक्रम के अहम बिंदू :
पीएम मोदी ने खुशी जताई कि 106% से 110 % वर्षा की संभावना अपने साथ एक बहुत बड़ा शान्ति का सन्देश लाई है।
जब लगातार सूखा पड़ता है, तो पानी-संग्रह के जो स्थान होते हैं, वो भी कम पड़ जाते हैं।
सूखे से निपटने के लिए नागरिक भी बहुत ही अच्छे प्रयास करते हैं।
महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले के हिवरे बाज़ार ग्राम पंचायत पानी की समस्या से निपटने के लिए क्रॉपिंग पैर्टन को बदला और पानी ज्यादा उपयोग करने वाली फसलों को छोड़ने का फैसला लिया।
जिस तेजी से रेलवे ने लातूर में पानी पहुंचाया है, रेलवे बधाई का पात्र है।
म.प्र. के देवास में गोरखा गांव पंचायत में कृषि उत्पादन में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
आज झारखण्ड में, जहाँ अधिकतम आदिवासी भाई-बहन रहते हैं, उस प्रदेश में जा कर मैं ‘पंचायती राज दिवस’ मनाने वाला हूँ।
गंगा सफाई अभियान में सरकार की तरफ़ से कई प्रयास चल रहे हैं।
गंगा में आए ठोस कचरे को साफ करने के लिए वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, पटना पर ट्रैश स्किमर पानी में तैरते-तैरते कचरा साफ़ करने का काम करते हैं। वहां 3 टन से 11 टन तक प्रतिदिन कचरा निकाला जाता है।
मैंने कहा था कि अगर आप साल भर के 1500, 2000 रु खर्च का बोझ सहन कर सकते हैं, तो आप गैस सब्सिडी क्यों नहीं छोड़ देते।
एक-करोड़ परिवारों ने स्वेच्छा से अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी है और यह एक करोड़ परिवार अमीर नहीं हैं।