पीएम मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मणिपुर में भड़की हिंसा पर सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देंगे.
अविश्वास प्रस्ताव से जुड़े ताजा अपडेट्स
- इन दिनों संसद का मानसून सत्र चल रहा है, जिसमें जोरदार हंगामा देखने को मिल रहा है. पिछले दो दिनों में संसद में तीखी बहस हुई और विपक्ष ने सरकार पर मणिपुर में बड़ा विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया. जबकि सरकार ने मुख्य रूप से अपने कल्याण कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपना बचाव किया है.
- कल संसद को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री अब तक मणिपुर क्यों नहीं गए. सत्ता पक्ष के जोरदार विरोध के बीच उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मणिपुर नहीं गए क्योंकि वह इसे भारत का हिस्सा नहीं मानते. आपने (भाजपा) मणिपुर को विभाजित कर दिया है."
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोविड और नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के मामले में केंद्र का रिपोर्ट कार्ड पेश किया. उन्होंने मणिपुर हिंसा को संबोधित करने में सरकार के प्रयासों को भी स्पष्ट किया और आरोप लगाया कि अविश्वास प्रस्ताव "लोगों को गुमराह करने" के लिए लाया गया था.
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पुष्टि की है कि अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री गुरुवार को लोकसभा में मौजूद रहेंगे. विपक्ष प्रधानमंत्री से मणिपुर मुद्दे पर संसद में बोलने की मांग कर रहा था.
- केंद्र ने पहले मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को मणिपुर हिंसा से संबंधित चर्चा करने पर सहमति व्यक्त की थी. लेकिन सूत्रों के मुताबिक विपक्ष को ये तारीख मंजूर नहीं है.
- राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसके लोकसभा में 331 सदस्य हैं, उसको अविश्वास मत के माध्यम से आगे बढ़ने की उम्मीद है. निचले सदन में अकेले बीजेपी के पास 303 सांसद हैं जहां बहुमत का आंकड़ा 272 है.
- विपक्षी इंडिया गठबंधन के पास 144 सांसद हैं और अगर वह बीआरएस के नौ वोट जीत लेता है तो उसकी संख्या 152 तक जा सकती है. इसके अलावा, वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी और नवीन पटनायक की बीजेडी के पास कुल मिलाकर 70 सदस्य हैं. बीजेडी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर रही है.
- विपक्ष मणिपुर पर चर्चा की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार ने कहा था कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर सदन को संबोधित नहीं करेंगे. विपक्ष का तर्क है कि अविश्वास प्रस्ताव उन्हें सरकार को घेरकर "धारणा की लड़ाई" जीतने में मदद करेगा और पीएम को संसद में इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए मजबूर करेगा.
- अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष सरकार में विश्वास की कमी को व्यक्त करने के लिए कर सकता है. यह सत्तारूढ़ दल या गठबंधन को सदन में अपना बहुमत साबित करने के लिए मजबूर करता है.बहुमत खोने पर सरकार तुरंत गिर जाती है.
- संसद में कल जहां राहुल गांधी ने मणिपुर के मुद्दे पर सरकार को घेरा. वहीं जवाब में स्मृित ईरानी समेत बीजेपी के दूसरे नेताओं ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला बोला.