कर्नाटक विधानसभा में आज फ्लोर टेस्ट होना है. कांग्रेस और जेडीएस ने प्रोटेम स्पीकर केजी बोपैया को लेकर सवाल खड़े कर दिये हैं और उनकी नियुक्ति पर आपत्ति जताई है. कांग्रेस का कहना है कि वरिष्ठता के आधार पर आरवी देशपांडे को प्रोटेम स्पीकर बनाना चाहिए. जो उन्हीं के पार्टी के MLA हैं. इस मसले पर कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची है. थोड़ी देर में कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई होने वाली है. केजी बोपैया जिनका पूरा नाम कोम्बारना गणपति बोपैया है, वे पहले भी विवादों में रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट भी उनके एक फैसले पर टिप्पणी कर चुका है और इसे गलत ठहराया है. केजी बोपैया बीएस येदियुरप्पा के बेहद करीबी और विश्वासपात्र माने जाते हैं. आइये आपको बताते हैं केजी बोपैया से जुड़े 10 अहम तथ्य.
केजी बोपैया से जुड़े 10 अहम तथ्य
- केजी बोपैया का जन्म 17 अक्टूबर 1955 को कोडगू जिले कलूर गांव में हुआ था. वह कर्नाटक की राजनीति में अलग पहचान रखने वाले 'वोक्कालिगा' समाज से ताल्लुक रखते हैं.
- केजी बोपैया छात्र जीवन से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े रहे हैं. वे आरएसएस में सक्रीय रहे हैं और संघ परिवार के काफी करीबी माने जाते हैं.
- केजी बोपैया ने बीएससी के साथ-साथ लॉ की भी पढ़ाई की है. उन्होंने काफी दिनों तक लॉ की प्रैक्टिस भी की है और कानून के जानकार माने जाते हैं.
- आपातकाल के दौरान जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें केजी बोपैया भी थी. वे काफी मुखर माने जाते हैं.
- केजी बोपैया कर्नाटक में भाजपा के प्रमुख चेहरों में से एक हैं. वे अध्यक्ष भी रह चुके है.
- केजी बोपेया ने विराजपेट विधानसभा से जीत हासिल की है. पहले भी वे 3 बार इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. इस क्षेत्र में उनकी अच्छी-खासी पकड़ है और काफी लोकप्रिय हैं.
- केजी बोपैया वर्ष 2009 से लेकर 2013 तक कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर भी रहे हैं. उन्हें वर्ष 2009 में भी चार दिनों के लिए प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था.
- वर्ष 2010 में जब अवैध खनन मामले में भाजपा के विधायक अपनी ही सरकार का विरोध कर रहे थे, तब बतौर स्पीकर बोपैया ने 11 बागी विधायकों और 5 निर्दलीय विधायक को अयोग्य घोषित करार दे दिया था.
- कहा जाता है कि उस दौरान बागी व निर्दलीय विधायकों को अयोग्य करार देकर बोपैया ने भाजपा सरकार को बचाने में मदद की थी.
- यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और कोर्ट ने बोपैया के इस फैसले पर तीखी टिप्पणी की थी. फैसले को गलत ठहराया था.