विज्ञापन

सुप्रीम कोर्ट ने रोका कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड बनाने का अपना ही आदेश : 10 खास बातें

??????? ????? ?? ???? ?????? ????????? ????? ????? ?? ???? ?? ???? : 10 ??? ?????
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड बनाने का अपना ही आदेश रोक दिया, लेकिन कर्नाटक को यह भी आदेश दिया कि वह 18 अक्टूबर तक रोज़ाना 2000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को दे. वैसे, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार-बार उसके आदेश की अवहेलना करने पर सफाई देने के लिए कहे जाने के बाद कर्नाटक ने सोमवार देर रात को पड़ोसी तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी से कुछ पानी छोड़ा था.

पढ़िए, मामले से जुड़ीं 10 ताजातरीन जानकारियां...

  1. गौरतलब है कि कर्नाटक ने हालिया दिनों में दो बार सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की अवहेलना की है, जिसमें उन्हें तमिलनाडु के किसानों के लिए पानी छोड़ने को कहा गया था.

  2. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार का कहना रहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए पहले अपने किसानों और राजधानी बेंगलुरू समेत अन्य मेट्रो शहरों की ज़रूरतें पूरी करना आवश्यक है, जो पीने के पानी की कमी से जूझने जा रहे हैं.

  3. सोमवार रात को सिंचाई मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि कर्नाटक तथा सीमा के पार के किसानों के लिए कुछ पानी छोड़ा जाएगा. मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि राज्य के हितों की रक्षा की जाएगी, लेकिन साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन भी ज़रूरी है.

  4. सोमवार को कर्नाटक द्वारा लिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट के गुस्से को शांत करने के लिए की गई कवायद के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि तमिलनाडु के किसानों को कावेरी नदी का ज़्यादा पानी मिलना चाहिए. दरअसल, कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक में है, और वह बहकर तमिलनाडु पहुंचती है.

  5. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह केंद्र सरकार से कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड का गठन करने के लिए कहा था, जिसमें शामिल विशेषज्ञ दोनों राज्यों में जाकर ज़रूरतों का अध्ययन करेंगे.

  6. केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि वह इस बोर्ड का गठन नहीं कर सकती है, और नई कमेटी के गठन के लिए उसे संसद की अनुमति की आवश्यकता होगी. जब कोर्ट ने पूछा कि यह जानकारी पहले क्यों नहीं दी गई, केंद्र सरकार ने कहा, "यह एक गलती थी..."

  7. तमिलनाडु चाहता है कि बोर्ड का गठन हो, जबकि कर्नाटक इसके पक्ष में नहीं है. कर्नाटक को दरअसल यह चिंता है कि उनके जलभंडार (जिनमें से चार कावेरी नदी पर बने हैं) विशेषज्ञों की नज़र में आ जाएंगे, और फिर विशेषज्ञों के पानी की ज़रूरत को लेकर कर्नाटक के आकलन और घोषणाओं से असहमत होने की आशंका है.

  8. तमिलनाडु ने केंद्र सरकार का इस दावे के लिए उपहास किया है कि वह बोर्ड का गठन नहीं कर सकती है, और आरोप लगाया है कि वह कर्नाटक का पक्ष ले रही है, क्योंकि उसे (केंद्र सरकार) उम्मीद है कि राज्य में जल्द ही होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस सरकार को बेदखल कर सत्ता हासिल कर पाएगी.

  9. इससे पहले, सितंबर में कर्नाटक द्वारा पानी छोड़े जाने के बाद बेंगलुरू तथा अन्य शहरों में दंगे भड़क उठे थे. कारों और बसों को फूंक दिया गया था. दो लोगों की मौत भी हो गई थी. दोनों राज्यों के बीच ऐसे लोगों की आवाजाही हमेशा होती है, जो एक राज्य में रहते हुए दूसरे में नौकरी करते हैं, और इन दंगों की वजह से सीमा पर तनाव अब तक बरकरार है.

  10. वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पंचाट ने फैसला किया था कि कावेरी नदी के पानी का बंटवारा कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुदुच्चेरी के बीच किस तरह किया जाना चाहिए, और चारों ही राज्यों ने उन्हें दिए गए हिस्से को चुनौती दी थी.


NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
कावेरी जल विवाद, कर्नाटक, तमिलनाडु, सिद्धरमैया, सुप्रीम कोर्ट, कावेरी विवाद, Cauvery Dispute, Karnataka, Tamil Nadu, Supreme Court
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com