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क्या है सम्‍मेद शिखर विवाद, जैन समाज क्यों कर रहा था विरोध? जानें- केंद्र सरकार ने क्या उठाया बड़ा कदम

झारखंड के पारसनाथ स्थित जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लग गई है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने तीन साल पहले जारी अपना आदेश वापस लेते हुए सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. केंद्र सरकार ने एक निगरानी समिति भी बनाई है, जो इको सेंसिटिव जोन की निगरानी करेगी.

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झारखंड के गिरिडीह स्थित जैन तीर्थस्थल सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल की सूची से बाहर नहीं किया गया है.
नई दिल्ली:

झारखंड के पारसनाथ स्थित जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लग गई है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने तीन साल पहले जारी अपना आदेश वापस लेते हुए सभी पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. केंद्र सरकार ने एक निगरानी समिति भी बनाई है, जो इको सेंसिटिव जोन की निगरानी करेगी.

  1.  झारखंड का हिमालय माने जाने वाले इस स्थान पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है. इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की. यहां पर 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था.
  2. सम्मेद शिखर में विराजित मुनिश्री प्रमाण सागरजी ने कहा कि सम्मेद शिखर इको टूरिज्म नहीं, इको तीर्थ होना चाहिए. सरकार पूरी परिक्रमा के क्षेत्र और इसके 5 किलोमीटर के दायरे के क्षेत्र को पवित्र स्थल घोषित करे, ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे.
  3. 2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था. इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प पत्र जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया. गिरिडीह जिला प्रशासन ने नागरिक सुविधाएं डेवलप करने के लिए 250 पन्नों का मास्टर प्लान भी बनाया है.
  4. केंद्र सरकार ने 2019 के नोटिफिकेशन में पारसनाथ पर्वत क्षेत्र के प्राकृतिक और पर्यावरण क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए इको सेंसेटिव जोन घोषित किया था. नए नोटिफिकेशन में केंद्र ने अपने पुराने निर्देशों में संसोधन करते हुए समिति बनाई.
  5. पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समाज को आश्वासन दिया गया है कि PM नरेंद्र मोदी जी की सरकार सम्मेद शिखर सहित जैन समाज के सभी धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है.
  6. केंद्र सरकार ने राज्य को निर्देश दिया है कि निगरानी समिति में जैन समुदाय के दो और स्थानीय जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को स्थायी रूप से शामिल किया जाए.
  7. सम्‍मेद शिखर के  मुद्दे पर राजस्‍थान के जयपुर में भूख हड़ताल पर बैठे जैन संत मुनि सुग्‍येय सागर के निधन के बाद विरोध और तेज हो गया था. यूपी, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान के अलावा मुंबई और राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली के इंडिया गेट पर भी प्रदर्शन हुए थे. 
  8. मध्य प्रदेश में भी इस मुद्दे को लेकर जैन समुदाय कई दिनों से सड़कों पर है.यह विरोध प्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, नर्मदापुरम, खंडवा, बालाघाट जैसे कई जिलों में देखा गया.
  9. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस दोनों के कई नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर जैन समुदाय का पूरा समर्थन किया था.छिंदवाड़ा सांसद कमलनाथ ने इस संबंध में केंद्र और झारखंड सरकार को पत्र लिखा था.
  10. जैन धर्म को मानने वाले लोग हर साल सम्मेद शिखर की यात्रा करते हैं. लगभग 27 किलोमीटर लंबी ये यात्रा पैदल ही पूरी करनी होती है. मान्यता है कि जीवन में कम से कम एक बार यहां की यात्रा करनी होती है.

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