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उपग्रहों, स्पेक्ट्रम समझौते से जुड़े मामले में हार गया भारत, देना पड़ सकता है एक अरब डॉलर हर्जाना

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हेग:

उपग्रहों तथा उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले स्पेक्ट्रम से जुड़े एक समझौते को रद्द करने के मामले में अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने भारत के खिलाफ फैसला सुनाया है, और अब भारत को क्षतिपूर्ति के रूप में एक अरब अमेरिकी डॉलर की रकम चुकानी पड़ सकती है। मंगलवार को दिए गए इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के समक्ष भारत की छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है, और उसे 'विदेशी निवेश के लिए अविश्वसनीय गंतव्य' के रूप में देखा जाने लग सकता है, जो अचानक नीतिगत बदलाव कर डालता है।

  1. हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय पंचाट (इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल) में भारत सरकार के खिलाफ यह मामला बेंगलुरू स्थित टेलीकॉम कंपनी देवास मल्टीमीडिया ने दर्ज करवाया था।
  2. वर्ष 2005 में देवास से कहा गया था कि वह बेहद कम उपलब्धता वाले एस-बैंड का इस्तेमाल कर सकती है, और इसके लिए उसे दो भारतीय उपग्रहों पर स्थान उपलब्ध करवाया गया था।
  3. देवास मल्टीमीडिया के साथ यह समझौता सरकारी एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस एंड रिसर्च ऑर्गेनाइज़ेशन - इसरो) की वाणिज्यिक शाखा एन्ट्रिक्स (Antrix) ने किया था। एन्ट्रिक्स का काम इसरो की सेवाओँ को निजी कंपनियों को उपलब्ध करवाकर धनार्जन करना ही है।
  4. देवास मल्टीमीडिया की योजना इन उपग्रहों तथा स्पेक्ट्रम का प्रयोग कर देशभर में सस्ते मोबाइल फोनों पर ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध करवाने की थी। एन्ट्रिक्स इस बात पर भी सहमत हो गया था कि इसके लिए आवश्यक उपग्रहों का निर्माण इसरो ही करेगी।
  5. एन्ट्रिक्स को इसके लिए 12 साल के भीतर 600 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था, लेकिन वर्ष 2011 में समझौता रद्द कर दिया गया। डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने कहा कि उसने इसरो की उपग्रहों का निर्माण करने की इसरो की योजनाओं पर मंजूरी नहीं दी है।
  6. एन्ट्रिक्स पर यह भी आरोप था कि उसने देवास को उपग्रह तथा स्पेक्ट्रम का आवंटन करने से पहले बोली प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
  7. इस फैसले को बहुचर्चित 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले से प्रभावित माना गया था, जिसकी वजह से आखिरकार डॉ मनमोहन सिंह की सरकार को चुनाव में नुकसान हुआ। उनकी सरकार पर आरोप थे कि उन्होंने 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटित करने में फायदे के लिए टेलीकॉम कंपनियों से समझौते किए।
  8. जांचकर्ताओं का कहना है कि देवास ने पूर्व इसरो अधिकारियों की सेवाएं ली थीं, और उन्होंने ही टेलीकॉम कंपनी के पक्ष में इस समझौते को करवाने में मदद की।
  9. देवास मल्टीमीडिया के साथ समझौता किए जाने वक्त इसरो प्रमुख रहे माधवन नायर को किसी भी सरकारी भूमिका निभाने के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था, और भ्रष्टाचार के आरोपों में उनके खिलाफ जांच की गई।
  10. माधवन नायर ने मंगलवार को NDTV से कहा कि अंतरराष्ट्रीय पंचाट का भारत के खिलाफ फैसला 'सरकार द्वारा बिना सोचे-समझे उठाए गए कदमों तथा जल्दबाजी में दी गई प्रतिक्रिया का नतीजा' है।

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