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इनसैट 3डीआर सैटेलाइट के बारे में आइए जानें 10 खास बातें

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इनसैट 3डीआर को लेकर उड़ने को तैयार जीएसएलवी-5
नई दिल्ली:

भारत का अंतरिक्ष संस्थान इसरो आज इनसैट 3डीआर सैटेलाइट भेजने वाला है. इस सैटेलाइट की क्या है खूबियां आइए जानें

इस सैटेलाइट की क्या है खूबियां आइए जानें

  1. इनसैट 3डीआर भारत का एक आधुनिक मौसमविज्ञान-संबंधी सैटेलाइट (advanced meteorological satellite) है जिसमें इमेजिंग सिस्टम और वायु-मंडल-संबंधी घोषक (Atmospheric Sounder) है.
  2. भारत के पास अपने तीन मौसमविज्ञान-संबंधी सैटेलाइट हैं. ये हैं कल्पना 1, इनसैट 3ए और इनसैट 3डी. ये सभी पिछले एक दशक से काम कर रहे हैं. कल्पना 1 और इनसैट 3 एमें इमेजिंग सिस्टम है जो काफी साफ इमेज देता है. यह इमेज नीयर-इंफ्रारेड, शॉर्टवेवे इंफ्रारेड, वाटर वेपर और थर्मल इंफ्रारेड बैंड्स की होती हैं.
  3. इनसैट 3डीआर कुछ मामलों में इनसैट 3डी के समान जानकारी उपलब्ध कराएगा. इनसैट 3डी को 2013 में लॉन्च किया गया था. इसके जरिये मौसम संबंधी जानकारियों को और सटीक रूप से देखा जाने लगा. इसके जरिए वायुमंडलीय साउंड सिस्टम जिसमें तापमान (40 लेवल का यानी धरातल से 70 किलोमीटर की ऊंचाई तक), आद्रता (21  लेवल का यानी धरातर से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक) और ओजोन परत की जानकारी जो धरातर से परत की मोटाई तक की जानकारी शामिल है. ये सारी जानकारी इनसैट 3डीआर भी उपलब्ध कराएगा.
  4. यह अपने साथ अत्याधुनिक मौसम उपग्रह ले कर जाएगा जो देश में मौसम संबंधी सेवाओं के लिए विभिन्न सेवाएं प्रदान करेगा. विभिन्न सेवाएं देने के साथ साथ आईएनएसएटी-3डीआर तटरक्षक, भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण , जहाजरानी एवं रक्षा सेवाओं सहित विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए आईएनएसएटी-3डी द्वारा मुहैया करई जाने वाली संचालनगत सेवाओं से संबद्ध हो जाएगा. आईएनएसएटी-3डीआर की मिशन अवधि 10 साल है.
  5. पहले के सैटेलाइट से छोड़े गए उपग्रहों की सारी खूबियां और उनमें सुधार के साथ उन्हें इनसैट 3डी में डाला गया था और अब इनसैट 3डीआर में भी बेहतर तकनीक को डाला गया है. इनमें
  6. मध्यम इंफ्रारेड बैंड के जरिए इमेजिंग. इससे रात के समय और बादल और कोहरा होने के समय भी तस्वीरें ली जा सकेंगी. दो थर्मल इंफ्रारेड बैंड के जरिए इमेजिंग. इससे समुद्र की सतह (Sea Surface Temperature |SST|) पर तापमान का सटीक अध्ययन किया जा सकेगा.
  7. इनसैट 3डी की तरह ही इनसैट 3डीआर में डाटा रिले ट्रांस्पोंडर है साथ ही सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांस्पोंडर. इसी के साथ इनसैट 3डीआर इसरो द्वारा पहले भेजे गए मौसमविज्ञान से संबंधी मिशन की सेवाओं को आगे बढ़ाने का काम करेगा. इसके अलावा कुछ खोजने और किसी प्रकार के आपदा में बचाव अभियान में भी इस सैटेलाइट का प्रयोग में लाए जा सकने की बात कही जा रही है.
  8. इनसैट 3डीआर में इसरो ने टू टन क्लास प्लेटफॉर्म (आई-2के बस) तकनीक का प्रयोग किया है. यह कार्बन फाइबर रीइनफोर्स्ड प्लास्टिक से बना है. सैटेलाइट में सोलर पैनल है जो 1700 वॉट पावर का उत्पादन करेगा. यह सैटेलाइट गुरुवार शाम 4.10 पर लॉन्च होगा.
  9. अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया कि भूस्थितर परिवर्तन कक्षा (जीटीओ) में पहुंचने के बाद 2,211 किग्रा वजन वाला सैटेलाइट इनसैट-3डीआर अपने प्रोपल्शन सिस्टम की मदद से अंतिम गंतव्य "भूसमकालिक" (जियोसिन्क्रोनस) कक्षा में पहुंच जाएगा.
  10. जीएसएलवी-एफ05 के प्रक्षेपण में स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (सीयूएस) को भेजा जाएगा और यह जीएसएलवी की चौथी उड़ान होगी. जीएसएलवी-एफ05 इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्रायोजेनिक अपर स्टेज को ले जाते हुए जीएसएलवी की पहली संचालन उड़ान है.

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