कांग्रेस ये 'दांव' खेलकर क्या BJP के हाथ से छीन सकती है गोवा की सत्ता, 10 प्वाइंट्स में समझें

कांग्रेस (Congress) ने मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद सरकार बनाने के लिए फिर से दावा पेश किया है. कांग्रेस ने पहले मनोहर पर्रिकर के तबीयत ज्यादा खराब होने पर शनिवार को राज्यपाल के सामने दावा पेश किया था.

कांग्रेस ये 'दांव' खेलकर क्या BJP के हाथ से छीन सकती है गोवा की सत्ता, 10 प्वाइंट्स में समझें

मनोहर पर्रिकर का रविवार शाम निधन हो गया था.

नई दिल्ली: गोवा (GOA) में भाजपा नीत गठबंधन अगले मुख्यमंत्री को लेकर अभी किसी सहमति पर नहीं पहुंच पाया है. मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के निधन के बाद राज्य में नए मुख्यमंत्री की तलाश शुरू हो गई है. भाजपा (BJP) विधायक माइकल लोबो ने बताया कि देर रात पहुंचे केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी राज्य में भगवा पार्टी और गठबंधन सहयोगी दलों के बीच कोई आम सहमति हासिल नहीं कर सके. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस (Congress) ने मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद सरकार बनाने के लिए फिर से दावा पेश किया है. कांग्रेस ने पहले मनोहर पर्रिकर के तबीयत ज्यादा खराब होने पर शनिवार को राज्यपाल के सामने दावा पेश किया था. हालांकि, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने न तो उनके पत्र का जवाब दिया और न ही उन्होंने मिलने का समय दिया. ऐसे में यह समझाना जरूरी है कि गोवा के सियासी समीकरण क्या कहते हैं. हम आपको बता रहे हैं कि गोवा में किन परिस्थितियों में भाजपा के साथ से सत्ता जा सकती है.

क्या कहते हैं सियासी समीकरण

  1. 40 विधानसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा (BJP) के पास 12 विधायक हैं. वहीं भाजपा को गोवा फॉरवर्ड पार्टी और एमजीपी के तीन-तीन और एक एनसीपी विधायक का समर्थन हासिल है. इसके अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार भी भाजपा के समर्थन में है. इस हिसाब से भाजपा के साथ 21 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के पास 14 विधायक हैं.

  2. गोवा भाजपा विधायक माइकल लोबो ने बताया कि महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) के विधायक सुदीन धवलीकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं जिससे बातचीत में गतिरोध पैदा हो गया है. लोबो ने रातभर चली बैठक के बाद कहा, ‘सुदीन धवलीकर खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं जबकि भाजपा चाहती है कि गठबंधन का नेता उसके खेमे का होना चाहिए. हम किसी भी फैसले पर नहीं पहुंच पाए.'

  3. गोवा में अब सरकार बनाने के लिए 19 विधायकों की जरूरत है. अगर भाजपा एमजीपी के विधायक सुदीन धवलीकर को मनाने में नाकाम रहती है और वह कांग्रेस के खेमे में चले जाते हैं तो भाजपा नीत गठबंधन के विधायकों की संख्या 17 रह जाएगी. वहीं कांग्रेस के विधायकों की संख्या भी 17 हो जाएगी. दोनों पार्टियों बहुमत से दो-दो विधायकों से दूर रहेंगी. ऐसे में कांग्रेस एक एनसीपी और एक निर्दलीय विधायक को अपने पक्ष में करके सरकार बना सकती है.

  4. सरकार बनाने का दूसरी बार दावा पेश करने वाली कांग्रेस का कहना है कि उसके पास बहुमत है. ऐसे में कांग्रेस गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विधायकों को भी अपने पाले में करके सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है. 

  5. कर्नाटक में भाजपा के 'कमल ऑपरेशन 2008' के तहत चली गई चाल को अपनाकर भी कांग्रेस भाजपा से सत्ता छीन सकती है. कर्नाटक में भाजपा ने कांग्रेस के बागी विधायकों से इस्तीफा दिला दिया था. इसके बाद बहुमत का आंकड़ा नीचे चला गया था. ऐसे में कांग्रेस भाजपा के किसी असंतुष्ट या फिर अन्य पार्टी के विधायक से इस्तीफा दिला सकती है. इससे सदन में बहुमत साबित करने का आंकड़ा नीचे चला जाएगा. 

  6. भाजपा को सहयोगी दलों से बातचीत करने गोवा पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री पद के लिए विश्वजीत राणे और प्रमोद सावंत के नाम सुझाए हैं.

  7. इससे पहले गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) प्रमुख विजय सरदेसाई ने कहा था कि पार्टियां अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है. सरदेसाई ने कहा था कि बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला और भाजपा ने उन्हें सूचित किया है कि बाद में दिन में फिर से बैठक होगी. सरदेसाई अपने विधायक जयेश सालगांवकर और विनोद पालेकर तथा निर्दलीय विधायक रोहन खोंटे, गोविंद गावडे और प्रसाद गांवकर के साथ पहुंचे

  8. इस साल के शुरु में भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा और रविवार को पर्रिकर के निधन तथा पिछले साल कांग्रेस (Congress) के दो विधायकों सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपटे के इस्तीफे के कारण सदन में विधायकों की संख्या 36 रह गयी है.

  9. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गोवा में कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं. लेकिन भाजपा ने अन्य दलों को अपने पाले में लाकर सरकार बनाने में बाजी मार ली.

  10. भाजपा ने रविवार को अपने दो पर्यवेक्षक गोवा रवाना कर दिए थे और अपने विधायकों को राज्य में बने रहने के लिए कहा. यह निर्देश कांग्रेस का सरकार बनाने का दावा पेश करने और पर्रिकर की तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद दिए गए थे.