इनकम टैक्स डिफॉल्टरों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम - 5 खास बातें

नियमों में यह फेरबदल केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से किया गया है, जो कि आयकर विभाग का नीति नियामक निकाय है.

इनकम टैक्स डिफॉल्टरों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम - 5 खास बातें

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली: सरकार ने 'छुपे' और 'फरार' इनकम टैक्स डिफॉल्टरों को समन जारी करने और उनके खिलाफ बकाये की वसूली की कार्रवाई के लिए बैंकों, बीमा कंपनियों और नगर निगमों के डेटाबेस से उनके पते हासिल करने का अधिकार दिया है. इसके लिए नियमों में संशोधन किए गए हैं. आयकर विभाग के अधिकारी छुपे या लापता बकायेदारों को अब तक केवल उनके पैन कार्ड (स्थायी खाता संख्या), आईटीआर (आयकर विवरणिका) या कर संबंधित पत्र व्यवहार के लिए लिखवाए गए पतों पर ही नोटिस जारी कर सकते थे. विभाग के अधिकारियों का कहना था कि टैक्स से बचने के लिए छुप कर रह रहे लोगों के मामले में पते के केवल उपरोक्त स्रोतों से उनका काम नहीं चल रहा था. इसमें कुछ मामले ऐसे भी होते होंगे जहां पता सचमुच बदल गया हो लेकिन करदाता ने विभाग को उसकी सूचना न दी हो.

आयकर विभाग को मिला और अधिकार

  1. एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद हाल ही में आयकर नियमों में इस संशोधन को अधिसूचित किया गया.

  2. यह संशोधन टैक्स अधिकारियों को बैंकिंग कंपनी या सहकारी बैंक, भारतीय डाक, बीमा कंपनी, कृषि आय के रिटर्न और वित्तीय लेनदेन के ब्योरों में मौजूद पतों को हासिल कर टैक्स नहीं चुका रहे लोगों तक पहुंचने की छूट देगा.

  3. 20 दिसंबर की जारी संबंधित अधिसूचना का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि इसमें जिस व्यक्ति के आयकर का आकलन किया जा रहा है, उसके पते के लिए सरकार के रिकॉर्ड में दर्ज पतों के अलावा 'स्थानीय निकायों' के डेटाबेस में उपलब्ध पतों को भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

  4. सरकार के डेटाबेस से अर्थ उन सभी डेटाबेसों जैसे ड्राइविंग लाइसेंस या मतदाता पहचान पत्र से है, जहां एक करदाता पंजीकृत है और स्थानीय प्राधिकरण से तात्पर्य नगर निकाय या इसी तरह के विभागों से है.

  5. नियमों में यह फेरबदल केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से किया गया है, जो कि आयकर विभाग का नीति नियामक निकाय है. (इनपुट भाषा से)