पंजाब के सीएम भगवंत मान ने अग्निपथ योजना में भर्ती के लिए जिला प्रशासन को सहयोग करने के लिए कहा है.
चंडीगढ़:
अग्निपथ योजना (Agneepath scheme) का मुद्दा संभावित पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार और भाजपा (BJP) शासित केंद्र के बीच नये संघर्ष में बदल सकता है.जानिए इस मुद्दे से जुड़ी दस बड़ी बातें.
- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सभी जिला उपायुक्तों को सैनिकों की भर्ती के लिए रैलियों को आयोजित करने के लिए सेना के अधिकारियों का पूरा सहयोग करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा, "किसी भी ढिलाई को गंभीरता से लिया जाएगा. राज्य से सेना में अधिक से अधिक उम्मीदवारों की भर्ती के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा."
- जालंधर में सेना के जोनल भर्ती अधिकारी मेजर जनरल शरद बिक्रम सिंह ने इस मुद्दे पर पंजाब के मुख्य सचिव वीके जंजुआ और कुमार राहुल, प्रमुख सचिव, रोजगार सृजन, कौशल विकास और प्रशिक्षण को पत्र लिखा था.
- मेजर सिंह ने 8 सितंबर को लिखे पत्र में कहा है कि रैलियों के आयोजन में उन्हें स्थानीय प्रशासन से पर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा, "वे आमतौर पर चंडीगढ़ में राज्य सरकार के निर्देशों की कमी या धन की कमी के कारण अपनी अपर्याप्तता का हवाला दे रहे हैं"
- इस तरह की रैलियों को आयोजित करने के लिए आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करते हुए, अधिकारी ने कहा है कि ऐसी रैलियों को आयोजित करने के लिए पुलिस सहायता, चिकित्सा सहायता और भोजन, पानी और शौचालय की व्यवस्था करने की आवश्यकता है.
- पत्र में यह भी कहा गया है कि अन्य राज्यों द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रशासनिक और वित्तीय सहायता "प्रशंसनीय" है. अधिकारी ने कहा कि वह अन्य राज्यों में व्यवस्थाओं की कुछ तस्वीरें भी भेज रहे थे.
- अधिकारी ने आगे लिखा कि जब तक उन्हें सरकार की ओर से "स्पष्ट प्रतिबद्धता" नहीं मिलती है, "हम पंजाब राज्य में भविष्य की सभी भर्ती रैलियों और प्रक्रियाओं को रोकने के लिए सेना मुख्यालय के साथ मामला उठाएंगे, बारी-बारी से पड़ोसी राज्यों में रैलियां आयोजित करेंगे."
- पत्र में कहा गया है कि पंजाब के युवाओं ने 'अग्निपथ' योजना के लिए "बड़ी संख्या में" पंजीकरण कराया है और रेखांकित किया है कि राज्य ने "परंपरागत रूप से महान योद्धा पैदा किए हैं."
- केंद्र ने इस साल जून में अग्निपथ भर्ती का अनावरण किया था. इस योजना के तहत सैनिकों की भर्ती चार साल की अवधि के लिए की जाएगी. चार साल बाद 'अग्निवर' कहे जाने वाले करीब 25 फीसदी जवानों को बलों में रखा जाएगा.
- अन्य एकमुश्त 'सेवा निधि' पैकेज के साथ सेवानिवृत्त होंगे जो कर-मुक्त है. रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वे ग्रेच्युटी या पेंशन लाभ के हकदार नहीं होंगे.
- इस योजना के शुभारंभ ने पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया था, प्रदर्शनकारियों ने सवाल किया था कि बलों में उनके चार साल के कार्यकाल के बाद उनके पास क्या विकल्प होंगे. आलोचकों ने तर्क दिया था कि चार साल का कार्यकाल सैनिकों को जोखिम से दूर कर देगा.