नई दिल्ली:
थोक मूल्य मुद्रास्फीति को पिछले 19 महीने के उच्चतम स्तर तक पहुंचा देने वाली खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर बुधवार दोपहर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली शीर्षस्तरीय बैठक करने जा रहे हैं...
मामले से जुड़ी 10 ताजातरीन जानकारियां
- बैठक में देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम सहित शीर्ष अधिकारियों के अलावा शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह तथा वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण के भी शामिल होने की संभावना है।
- बैठक के दौरान ज़रूरत की चीज़ों के दाम काबू में रखने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर चर्चा की जाएगी। उद्योग संगठन फिक्की ने सरकार को खाद्य आपूर्ति के लिए 'पहले से तैयारी के साथ प्रबंधन' करने का सुझाव देते हुए कहा है कि इससे 'मुद्रास्फीति को उसी सीमा के भीतर रोके रखा जा सकेगा, जहां तक रखने का सुझाव रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दिया है...'
- सब्ज़ियों की कीमतें चिंता का सबब हैं, क्योंकि मंगलवार को जारी हुए थोक मूल्य सूचकांक आंकड़ों में भी सब्ज़ियों में मुद्रास्फीति अप्रैल के 2.21 फीसदी से बढ़कर अगले ही महीने में 12.94 फीसदी पर पहुंच गई है।
- फसल को हुए नुकसान के चलते टमाटर के दाम देशभर में लगभग दोगुने होकर 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं। हैदराबाद में तो टमाटर 100 रुपये प्रति किलो के बाव से बिक रहा है। इसके अलावा आलू और प्याज़ की कीमतें भी बढ़ी हैं।
- दालों की खुदरा कीमतें भी लगभग 170 रुपये प्रति किलो पर पहुंची हुई हैं। जनवरी, 2015 के बाद से दाल मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में बनी हुई है, और मई में भी वह 35.56 फीसदी रही।
- कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार, तेल की बढ़ती कीमतें भी अगले वित्त वर्ष तक थोक मुद्रास्फीति को तिगुना कर सकती हैं।
- सरकारी सूत्रों ने NDTV को बताया कि वे कीमतों पर करीब से नज़र रखे हुए हैं, और सही वक्त आने पर उचित कदम उठाएंगे।
- सूत्रों ने कहा कि बुधवार को होने वाली बैठक में दालों के आयात में हुई प्रगति का जायज़ लेने के अलावा बफर स्टॉक तैयार करने तथा राज्य सरकारों द्वारा खुदरा बिक्री के लिए रियायती कीमतों पर स्टॉक उठाने को लेकर भी चर्चा की जाएगी।
- सूत्रों के अनुसार, मंत्री तथा अधिकारी चीनी, गेहूं तथा खाद्य तेलों के आयात तथा निर्यात पर लगने वाले शुल्क पर भी चर्चा करेंगे।
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अगले साल के लिए जो लक्ष्य तय किया था, उपभोक्ता मुद्रास्फीति के आंकड़े पहले ही उसे पार कर चुके हैं, जिससे ब्याज दर में कटौती के आसार कम हो गए हैं।