आज, आषाढ़ की शुक्ल द्वितीया को, सदियों पुरानी परंपराओं का खजाना लिए भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज है.
Jagannath temple puri rath yatra : जब सूरज की किरणें पुरी के वर्षो प्राचीन मंदिरों को स्वर्णिम रंग की रोशनी में नहलाती हैं, तब जगन्नाथ की पावन नगरी एक महाउत्सव के लिए तैयार होती है. आज, आषाढ़ की शुक्ल द्वितीया को, सदियों पुरानी परंपराओं को समेटे भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज है. पुरी की गलियों में रंग-बिरंगे झंडे लहरा रहे हैं, आसमान में "जय जगन्नाथ" के गगनभेदी जयकारे गूंज रहे हैं. सजे-धजे विशाल रथ, जिन्हें नंदीघोष, तलध्वज और देवदलन कहते हैं, अपने प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को लेकर गुंडिचा मंदिर की ओर बढ़ने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
Jagannath rath yatra 2025 : भगवान जगन्नाथ की आंखें क्यों होती हैं इतनी बड़ी, जानिए यहां
हर भक्त की आंखों में बस एक ही तमन्ना है, अपने प्रभु के भव्य दर्शन और रथ को आस्था की डोर से खींचकर भगवान का आशीर्वाद मिल जाए और माक्ष का द्वार आसान हो जाए. लेकिन इस रथ यात्रा उत्सव की कहानी सिर्फ रथ और भक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि ये हमारी प्राचीन संस्कारों और रस्मों-रिवाज का भी एक अनूठा संगम है, जिसका दूसरा उदाहरण दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलेगी. इनमें से एक है 'हेरा पंचमी', वह रस्म जो भगवान जगन्नाथ और मां लक्ष्मी के बीच प्रेम और मनुहार की कहानी बयां करती है.
दरअसल, इस दिन मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ से रूठ जाती हैं, क्योंकि प्रभु उन्हें मंदिर में छोड़कर अपनी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर चले आते हैं. भगवान के इस रूठने-मनाने की कहानी को और गहराई से समझाते हुए बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने एनडीटीवी से खास बातचीत में बताया.
कैसे मनाते हैं देवी लक्ष्मी को प्रभु जगन्नाथ
सांसद संबित पात्रा बताते हैं कि हर पति-पत्नी के बीच नोक-झोंक होती है. प्रभु जगन्नाथ के जीवन में भी ऐसा ही होता है. जब भगवान रथ यात्रा में अपने भाई-बहन के साथ मौसी के घर गुंडीचा चले आते हैं, जहां वो 9 दिन रहते हैं. इस दौरान देवी लक्ष्मी उनसे नाराज हो जाती हैं, क्योंकि भगवान उन्हें साथ लेकर नहीं जाते हैं. ऐसे में पांचवें दिन स्वयं देवी लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ के पास आ जाती हैं, और उनसे वापस आने के लिए कहती हैं. तब प्रभु उनसे कहते हैं कि आपने आदेश दिया है तो वापस आना ही है. इसके बाद जब वह नीलाद्री विजय के दिन लौटकर जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें देवी लक्ष्मी को रसगुल्ला खिलाकर मनाना पड़ता है. इसके बाद देवी मां उन्हें प्रवेश की अनुमति देती हैं. इससे यह बात साफ होती है कि जब तक घर की मालकिन न चाहे आप घर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं.
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