
Rakhi history : भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक राखी सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 9 अगस्त को है. ऐसे में अभी से राखी का बाजार सज गया है. जिन लोगों के भाई दूर देश में रहते हैं बहनें कोरियर के माध्यम पवित्र रक्षासूत्र को भिजवाना भी शुरू कर चुकी हैं. इस दिन भाई कलाई पर राखी बंधवाने के बाद उपहार देते हैं और पूरा जीवन उनका ख्याल और रक्षा करने का वचन भी देते हैं. वहीं, बहनें भाई के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु होने की कामना करती हैं. राखी का पर्व प्राचीन काल से चला आ रहा है तो कई बार दिमाग में यह सवाल आता है कि आखिर पहली बार राखी किसने किसको बांधी होगी. आज हम इस प्रश्न का उत्तर ज्योतिषाचार्य डॉ. अलकनंदा शर्मा द्वारा आगे लेख में जानेंगे.
रक्षाबंधन पौराणिक कथा - Rakshabandhan Mythology
ज्योतिषाचार्य अलकनंदा शर्मा कहती हैं कि इतिहास और पुराणों में रक्षाबंधन से जुड़ी कई कथाएं मिलती हैं, लेकिन सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध कथा देवताओं और असुरों के बीच युद्ध की है.
कथा अनुसार, एकबार देवराज इंद्र जब असुरों से युद्ध में हारने लगे, तब उन्होंने गुरु बृहस्पति से सलाह ली. उस समय श्रावण पूर्णिमा का दिन था. इंद्र की पत्नी शचि (इंद्राणी) ने एक रक्षासूत्र बनाया और वह मंत्रों से सिद्ध करके इंद्र की कलाई पर बांध दिया. इसके प्रभाव से इंद्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की.
इस प्रकार, सबसे पहली राखी इंद्राणी ने इंद्र को बांधी थी, और तभी से यह परंपरा चली आ रही है. जिसमें एक रक्षा-सूत्र, प्रेम, आशीर्वाद और सुरक्षा का प्रतीक बन गया. यह केवल भाई-बहन का त्योहार नहीं, बल्कि रक्षा और विश्वास का प्रतीक भी है, चाहे वह किसी भी रूप में हो.
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2025 - Rakshabandhan auspicious time 2025
आपको बता दें कि इस साल 9 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक है. वहीं, राखी बांधने के लिए सबसे उत्तम अभिजीत मुहूर्त, दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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