भारत में विविधता केवल भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजार्थिक रूप से ही नहीं बल्कि यहां की आस्था और धार्मिक स्वरुप में भी है। यहां देवी-देवताओं, इंसानों, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों की पूजा-अर्चना आम है।
बुलेट मोटर साईकिल की पूजा होती है यहां
लेकिन राजस्थान के जोधपुर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोधपुर से पाली जाने के दौरान पाली से लगभग 20 किलोमीटर पहले स्थित रोहिट नामक स्थान की बात ही निराली है। यहां एक व्यक्ति की मौत के बाद उसकी तो पूजा होती ही है, साथ ही उसकी बुलेट मोटर साईकिल की भी पूजा होती है।
मोटर साईकिल से मन्नत मांगते हैं लोग...
केवल यही नहीं बल्कि लोग बाकायदा लोग उस मोटर साईकिल से भी मन्नत मांगते हैं। कहते हैं कि इस चमत्कारी मोटर साईकिल ने आज से लगभग 28 वर्ष पूर्व केवल स्थानीय लोगों को ही नहीं बल्कि रोहिट पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों को भी चमत्कृत कर दिया था।
‘ओम बन्ना का स्थान’ कहलाता है यह जगह...
यही कारण है कि आज भी इस थाने में नियुक्ति पर आने वाला हर पुलिस कर्मी ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले यहां मत्था जरुर टेकता है। यह स्थान आज ‘ओम बन्ना का स्थान’ कहलाता है। ओम बन्ना, ओम सिंह राठौड़ नामक एक शख्स की याद में बना है, जो पाली शहर के पास स्थित चोटिला गांव के रहने वाले थे। उनका इस स्थान पर बुलेट मोटर साईकिल पर जाते हुए सन 1988 में एक दुर्घटना में निधन हो गया था।
इस स्थान पर होती थी रोज एक दुर्घटना...
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस स्थान पर हर रोज कोई न कोई वाहन दुर्घटना होती थी। सन ’88 में यहीं एक पेड़ के पास ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना हुई थी। लोगों का कहना है कि यहां वाहन दुर्घटनाएं क्यों होती थी, यह आज भी एक रहस्य है। ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना कैसे हुई थी, यह भी कोई नहीं जानता। यहां कई लोग दुर्घटना के शिकार बन काल-कवलित हो चुके थे।
थाने से गायब हो जाया करती थी मोटर साईकिल...
ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना में मृत्यु के बाद पुलिस ने खानापूर्ति के तहत उनकी बुलेट मोटर साईकिल को थाने लाकर बंद कर दिया लेकिन दूसरे दिन सुबह ही थाने से मोटर साईकिल गायब हो गई और तलाश करने पर मोटर साईकिल उसी दुर्घटना-स्थल पर मिली। पुलिसकर्मी दोबारा उस मोटर साईकिल को थाने ले आए लेकिन रात के समय मोटर साईकिल थाने से गायब हो जाती और सुबह में दुर्घटना-स्थल से बरामद की जाती थी।
फिर होने लगा यह चमत्कार...
आखिरकार पुलिस और ओम सिंह राठौड़ के पिता ने इसे ओम सिंह की मृत आत्मा की अंतिम इच्छा माँ कर उस बुलेट मोटर साईकिल को दुर्घटना के पास वाले उसी पेड़ के पास एक शेड बनवाकर कर रख दिया। लोगों का कहना है कि इसके बाद रात में वाहन चालकों को ओम सिंह अक्सर वाहनों को दुर्घटना से बचाने के उपाय करते और चालकों को दुर्घटना से सावधान करते दिखाई देने लगे।
बंद हो गया दुर्घटनाओं का सिलसिला...
अनेक लोगों का मानना है कि उस दुर्घटना वाली जगह पर वे वाहन को या तो जबरदस्ती रोक देते थे या वाहन की गति धीमी कर देते थे ताकि दुर्घटना न हो और कोई उनकी तरह असामयिक मौत का शिकार न बने। इस प्रकार आज तक वहां दोबारा कोई दूसरी दुर्घटना नहीं हुई।
बढ़ती गई लोगों की श्रद्धा...
दिवंगत ओम सिंह राठौड़ के की आत्मा द्वारा इस तरह का काम करते देखे जाने पर वाहन चालकों और स्थानीय लोगों में उनके प्रति श्रद्धा बढ़ती गई और इस श्रद्धा ने समय के साथ भक्ति का रूप ले लिया। नतीजा यह कि आज ओम बन्ना नामक इस स्थान पर पूजा-अर्चना करने वालों की भीड़ लगी रहती है। दूर-दूर से लोग यहां आकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और उनकी मोटर साईकिल से मन्नत मांगते हैं।
बुलेट मोटर साईकिल की पूजा होती है यहां
लेकिन राजस्थान के जोधपुर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोधपुर से पाली जाने के दौरान पाली से लगभग 20 किलोमीटर पहले स्थित रोहिट नामक स्थान की बात ही निराली है। यहां एक व्यक्ति की मौत के बाद उसकी तो पूजा होती ही है, साथ ही उसकी बुलेट मोटर साईकिल की भी पूजा होती है।
मोटर साईकिल से मन्नत मांगते हैं लोग...
केवल यही नहीं बल्कि लोग बाकायदा लोग उस मोटर साईकिल से भी मन्नत मांगते हैं। कहते हैं कि इस चमत्कारी मोटर साईकिल ने आज से लगभग 28 वर्ष पूर्व केवल स्थानीय लोगों को ही नहीं बल्कि रोहिट पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों को भी चमत्कृत कर दिया था।
‘ओम बन्ना का स्थान’ कहलाता है यह जगह...
यही कारण है कि आज भी इस थाने में नियुक्ति पर आने वाला हर पुलिस कर्मी ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले यहां मत्था जरुर टेकता है। यह स्थान आज ‘ओम बन्ना का स्थान’ कहलाता है। ओम बन्ना, ओम सिंह राठौड़ नामक एक शख्स की याद में बना है, जो पाली शहर के पास स्थित चोटिला गांव के रहने वाले थे। उनका इस स्थान पर बुलेट मोटर साईकिल पर जाते हुए सन 1988 में एक दुर्घटना में निधन हो गया था।
इस स्थान पर होती थी रोज एक दुर्घटना...
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस स्थान पर हर रोज कोई न कोई वाहन दुर्घटना होती थी। सन ’88 में यहीं एक पेड़ के पास ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना हुई थी। लोगों का कहना है कि यहां वाहन दुर्घटनाएं क्यों होती थी, यह आज भी एक रहस्य है। ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना कैसे हुई थी, यह भी कोई नहीं जानता। यहां कई लोग दुर्घटना के शिकार बन काल-कवलित हो चुके थे।
थाने से गायब हो जाया करती थी मोटर साईकिल...
ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना में मृत्यु के बाद पुलिस ने खानापूर्ति के तहत उनकी बुलेट मोटर साईकिल को थाने लाकर बंद कर दिया लेकिन दूसरे दिन सुबह ही थाने से मोटर साईकिल गायब हो गई और तलाश करने पर मोटर साईकिल उसी दुर्घटना-स्थल पर मिली। पुलिसकर्मी दोबारा उस मोटर साईकिल को थाने ले आए लेकिन रात के समय मोटर साईकिल थाने से गायब हो जाती और सुबह में दुर्घटना-स्थल से बरामद की जाती थी।
फिर होने लगा यह चमत्कार...
आखिरकार पुलिस और ओम सिंह राठौड़ के पिता ने इसे ओम सिंह की मृत आत्मा की अंतिम इच्छा माँ कर उस बुलेट मोटर साईकिल को दुर्घटना के पास वाले उसी पेड़ के पास एक शेड बनवाकर कर रख दिया। लोगों का कहना है कि इसके बाद रात में वाहन चालकों को ओम सिंह अक्सर वाहनों को दुर्घटना से बचाने के उपाय करते और चालकों को दुर्घटना से सावधान करते दिखाई देने लगे।
बंद हो गया दुर्घटनाओं का सिलसिला...
अनेक लोगों का मानना है कि उस दुर्घटना वाली जगह पर वे वाहन को या तो जबरदस्ती रोक देते थे या वाहन की गति धीमी कर देते थे ताकि दुर्घटना न हो और कोई उनकी तरह असामयिक मौत का शिकार न बने। इस प्रकार आज तक वहां दोबारा कोई दूसरी दुर्घटना नहीं हुई।
बढ़ती गई लोगों की श्रद्धा...
दिवंगत ओम सिंह राठौड़ के की आत्मा द्वारा इस तरह का काम करते देखे जाने पर वाहन चालकों और स्थानीय लोगों में उनके प्रति श्रद्धा बढ़ती गई और इस श्रद्धा ने समय के साथ भक्ति का रूप ले लिया। नतीजा यह कि आज ओम बन्ना नामक इस स्थान पर पूजा-अर्चना करने वालों की भीड़ लगी रहती है। दूर-दूर से लोग यहां आकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और उनकी मोटर साईकिल से मन्नत मांगते हैं।
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