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This Article is From May 04, 2022

Vaishakh Purnima 2022: वैशाख पूर्णिमा कब है, जानिए पूजा विधि और महत्व

Vaishakh Purnima 2022: वैशाख मास की पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) को बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) कहते हैं. हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध धर्म में भी इस पूर्णिमा (Purnima 2022) का विशेष महत्व है.

Vaishakh Purnima 2022: वैशाख पूर्णिमा कब है, जानिए पूजा विधि और महत्व
Vaishakh Purnima 2022: बौद्ध धर्म के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था.

Vaishakh Purnima 2022: पंचांग के मुताबिक पूर्णिमा (Purnima) हिंदी महीने की आखिरी तारीख होती है. वैशाख मास की पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) को बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) कहते हैं. हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध धर्म में भी इस पूर्णिमा (Purnima 2022) का विशेष महत्व है. बौद्ध धर्म के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. 2022 में वैशाख पूर्णिमा कब है और इसका क्या महत्व है इसके बारे में जानते हैं. 

वैशाख पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Vaishakh Purnima Shubh Muhurat)

हिंदू धार्मिक मान्यता और पंचांग के मुताबिक वैशाख मास की पूर्णिमा का व्रत 16 मई को रखा जाएगा. वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 12 मई 2022 रात 12 बजकर 45 मिनट पर होगा. वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 16 मई की रात 9 बजकर 45 मिनट पर होगा. 

वैशाख पूर्णिमा पूजा विधि (Vaishakh Purnima Puja Vidhi)

धार्मिक मान्यता के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है. स्नान के बाद सूर्य के मंत्रो का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल पर दीपक जलाया जाता है. भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके अलावा इस दिन सत्यनाराण भगवान की कथा भी की जाती है. शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद भगवान को भोग लगाया जाता है. 

वैशाख पूर्णिमा का महत्व (Vaishakh Purnima Importance) 

शास्त्रों के मुताबिक, वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन दान करना अत्यंत शुभ होता है. कहा जाता है कि इस दिन किए गए दान का कई गुणा फल प्राप्त होता है. इसके अलावा मान्यता यह भी है कि वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखने से पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है. साथ ही मृत्यु के उपरांत वैकुंठ लोक में स्थान मिलता है. साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की उपासना से दुख दूर होते हैं, ऐसी मान्यता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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