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हरियाली तीज कब है? हरियाली तीज का पूजा मुहूर्त और विधि जानिये यहां

Shubh yog 2024 : इस दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है, ऐसे में 11 बजकर 41 मिनट से लेकर अगले दिन तक शिव योग का निर्माण होगा. 

हरियाली तीज कब है? हरियाली तीज का पूजा मुहूर्त और विधि जानिये यहां
आप हरतालिका पूजा के लिए पंडित को भी बुला सकते हैं या खुद भी करवा सकते हैं.

Hariyali teej kab hai: हरतालिका तीज में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है. हरतालिका तीज पर लड़कियां और विवाहित महिलाएं दोनों ही व्रत रखती हैं. पंचांग या हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्यौहार भाद्रपद (23 अगस्त, 2024 से 22 सितंबर, 2024) के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. महिलाएं इस दिन आनंदमय और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखा था. हरतालिका तीज के अलावा, सावन और भाद्रपद के महीने में दो और तीज मनाई जाती हैं - हरियाली तीज और कजरी तीज. ऐसे में इस साल हरियाली तीज की तिथि, विधि और शुभ मुहूर्त क्या होगा आपको आगे आर्टिकल में बताया जा रहा है.

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हरियाली तीज शुभ मुहूर्त

इस साल सावन माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरूआत 6 अगस्त को शाम 7 बजकर 52 मिनट पर होगा और अगले दिन  यानी 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगा. उदयातिथि 7 को है ऐसे में तीज इसी दिन मनाई जाएगी.

शिव योग का निर्माण 

इस दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है, ऐसे में 11 बजकर 41 मिनट से लेकर अगले दिन तक शिव योग का निर्माण होगा. 

हरितालिका तीज पूजन विधि

इस दिन लड़कियों और महिलाओं दोनों को सुबह जल्दी स्नान करना चाहिए.

महिलाएं लाल और हरे रंग के कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं.

हरतालिका व्रत और पूजा शुरू करने से पहले व्रत या संकल्प लेना चाहिए.

घर के मंदिर में एक वेदी पर भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की हस्तनिर्मित मूर्तियां स्थापित करें.

आप हरतालिका पूजा के लिए पंडित को भी बुला सकते हैं या खुद भी करवा सकते हैं.

अब सबसे पहले भगवान गणेश, भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा शुरू करें.

अब वेदी को केले के पत्तों, फूलों से सजाएं और मूर्तियों के माथे पर कुमकुम लगाएं.

भगवान शिव और देवी पार्वती की षोडशोपचार पूजा शुरू करें. 

हरतालिका व्रत कथा का पाठ करें.

व्रत कथा पूरी होने के बाद माता पार्वती को सुहाग के आभूषण अर्पित करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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