 
                                            What is Dak Kanwar Yatra :  डाक कांवड़ के लिए गंगाजल लेने कांवड़िए हरिद्वार, गंगोत्री और गढ़मुक्तेश्वर जैसे पवित्र स्थलों पर जाते हैं. 
                                                                                                                        Daak kanwad yatra 2025 : श्रावण मास के शुरू होते ही भोले के भक्त कांवड़ यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं. इस दौरान कांवड़िए 4 पवित्र नदियों का जल कांवड में एकत्रित करके सावन शिवरात्रि के दिन अपने गृहनगर में शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. इस कांवड यात्रा में एक विशेष तरह की परंपरा निभाई जाती है, जिसे डाक कांवड़ कहते हैं. यह कांवड यात्रा सामान्य कांवड़ से अलग होती है. आज के इस लेख में हम डाक कांवड़ क्या होती है इसका नियम और महत्व क्या है, इसके बारे में विस्तार से बात करेंगे.
डाक कांवड क्या होती है - what is dak kavad
- इस कांवड़ यात्रा में कांवड़िए बिना रुके पूरी श्रद्धा के साथ यात्रा करते हैं, ताकि तय समय पर शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाया जा सके.
- इस यात्रा में कांवड़िए कांवड़ में जल भरने के बाद विश्राम नहीं करते हैं बल्कि लगातार चलते रहते हैं.
- डाक कांवड यात्रा नंगे पांव की जाती है.
- कांवड़िए डाक कांवड़ के लिए गंगाजल लेने हरिद्वार, गंगोत्री और गढ़मुक्तेश्वर जैसे पवित्र स्थलों पर जाते हैं.
- शिवपुराण के अनुसार सावन माह में शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. मान्यता है इससे सभी दोषों से छुटकारा मिलता है. साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं.
- डाक कांवड़ यात्रा समय और शुद्धता कितनी जरूरी है इस बात पर जोर देती है.
- आपको बता दें कि हरिद्वार और उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में स्थानीय पुलिस और प्रशासन डाक कांवड़ यात्रा के लिए अलग से मार्ग निर्धारित करती है, ताकि डाक कांवड़िए बिना किसी बाधा के बिना रुके अपनी यात्रा को संपन्न कर सकें.
- श्रावण मास न सिर्फ श्रद्धा का महीना बल्कि समर्पण और अनुशासन का एक अच्छा उदाहरण भी है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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