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Sawan pradosh kal 2025 : सावन के प्रदोष काल में क्यों करनी चाहिए शिव जी की पूजा, जानिए यहां विधि और महत्व

इस माह के प्रदोष काल में शिव पूजन करने का विशेष महत्व होता है. आइए जानते हैं प्रदोष काल कब से कब तक होता है. 

Sawan pradosh kal 2025 : सावन के प्रदोष काल में क्यों करनी चाहिए शिव जी की पूजा, जानिए यहां विधि और महत्व
प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद शुरू होता है, जो 8 बजे तक होता है.

Sawan pradosh kal 2025 : सावन माह का 11 जुलाई से शुभारंभ हो गया है. शिव भक्तों में उत्साह चरम पर है. मान्यता है इस दौरान सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा पाठ करने से सारी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं. क्योंकि श्रावण मास महादेव को बहुत प्रिय है. इसलिए आप श्रावण मास में सही विधि-विधान से पूजा करके भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं. कहा जाता है इस माह में आप शिवलिंग पर एक लोटा जल भी चढ़ा देते हैं, तो शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं. आपको बता दें कि इस माह में प्रदोष काल में पूजा करने का विशेष महत्व होता है. ऐसे में आइए जानते हैं प्रदोष काल में पूजा करने की विधि और महत्व... 

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सावन के महीने में प्रदोष काल में पूजा करने का महत्व - Importance of worshiping during Pradosh period in the month of Sawan

मान्यता है सावन में प्रदोष काल भगवान शिव के तांडव नृत्य का समय होता है. इस समय भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में होते हैं. इस दौरान की गई पूजा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.

कब शुरू होता है प्रदोष काल - When does Pradosh Kaal start?

प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद शुरू होता है, जो 8 बजे तक रहता है. ऐसे में सही विधि-विधान से पूजा करके भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. 

कैसे करें प्रदोष काल में पूजा - How to do Puja during Pradosh Kaal

प्रदोष काल में पूजा करने के लिए पहले आप स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लीजिए. फिर एक वेदी बनाएं और उस पर शिव की प्रतिमा या फिर शिवलिंग स्थापित कर दीजिए. अब आप गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करिए. इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल और फिर शिवलिंग के सामने दीपक जलाएं. इस दौरान आप ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप भी करते रहिए. यह आपकी पूजा को सफल बना देगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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