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Vishwakarma Puja 2025 Date: विश्वकर्मा पूजा कब है, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और बड़े लाभ

Vishwakarma Puja 2025 date:  भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा इस साल कब होगी? वास्तु कला के देवता माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की किस मुहूर्त में पूजा करने पर बरसेगी उनकी कृपा? भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि और उसका धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें ये लेख. 

Vishwakarma Puja 2025 Date: विश्वकर्मा पूजा कब है, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और बड़े लाभ

Vishwakarma Puja 2025 Kab Hai: हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा इस सृष्टि के पहले शिल्पीकार हैं, जिन्होंने ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सृष्टि को खूबसूरत बनाने का कार्य किया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने रामायण काल में सोने की लंका बनाने से लेकर श्री कृष्ण के काल में द्वारका नगरी तक का निर्माण किया था. देवी-देवतओं के लिए आवास बनाने के साथ उन्होंने तमाम शस्त्रों का भी निर्माण किया था. आइए भगवान विश्वकर्मा की पूजा की विधि और उसके धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं. 

कब और कैसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा

पंचांग के अनुसार इस साल भगवान विश्वकर्मा की पूजा 17 सितंबर 2025 को प्रात:काल सुबह 6:07 से 12:15 बजे के बीच की जाएगी. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के लिए व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए. इसके बाद अपने औजारों, मशीनों और काम में आने वाली चीजों की विशेष रूप से सफाई करनी चाहिए.

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इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर आसन बिछाकर रखें और उनकी पुष्प, फल, धूप, दीप, रोली, चंदन आदि से पूजा करें. भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन उनके मंत्र 'ॐ विश्वकर्मणे नमः' का अधिक से अधिक जप करें और पूजा करने के बाद सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें. 

भगवान विश्वकर्मा की पूजा का धार्मिक महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विश्वकर्मा की पूजा से जुड़ा पर्व मुख्य रूप से कामगारों और उनके प्रमुख औजारों से जुड़ा हुआ है. हिंदू मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की विधि-विधान से पूजा करने पर पूरे साल काम बगैर बाधा के तेजी से आगे बढ़ता है. भगवान विश्वकर्मा की कृपाा से कारोबार में मनचाही प्रगति होती है. 

भगवान विश्वकर्मा पूजा के लाभ

मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से व्यवसाय, उद्योग और शिल्पकला में वृद्धि होती है. इस पूजा के पुण्यफल से पूरे साल औजार और मशीनें सुरक्षित रहती हैं. भगवान विश्वकर्मा की एक साथ पूजा करने पर कार्य स्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और लोगों में सहयोग की भावना विकसित होती है. यह पर्व मेहनतकश लोगों को परिश्रम, प्रयास और उनके कौशल को सम्मानित करते हुए उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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