Vat Savitri Purnima को बन रहे हैं 3 शुभ योग, यहां जानें इस दिन कैसे करें पूजा

वट पूर्णिमा (Vat Purnima-2023) के दिन महिलाएं सुबह महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं. स्नान के पश्चात श्रृंगार की सामग्रियां इकट्ठा करके वट वृक्ष की पूजा के लिए जाती हैं. वहां पहुंचकर बरगद के पेड़ के चारों तरफ कलावा और कच्चा सूत लपेटती हैं.

Vat Savitri Purnima को बन रहे हैं 3 शुभ योग, यहां जानें इस दिन कैसे करें पूजा

Shubh yog 2023 : ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन इस बार रवि योग, शिव योग और सिद्ध योग बन रहा है.

Vat Savitri Purnima 2023 : पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन की सुख शांति के लिए रखा जाने वाला व्रत वट सावित्री पूर्णिमा इस बार कब पड़ रही है इसको लेकर लोगों के दिमाग में कई सवाल हैं. ऐसे में आज हम आपको बता देते हैं कि इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि 3 जून शनिवार को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रही है. जो कि अगले दिन 4 जून रविवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक रहेगी. ऐसे में वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत 3 जून दिन शनिवार को रखा जाएगा. इस बार यह व्रत खास होने वाला है क्योंकि 3 शुभ योग बन रहे हैं जिसके बारे में हम लेख में आपको बताने वाले हैं.

ज्येष्ठ वट सावित्री पूर्णिमा शुभ योग

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन इस बार रवि योग, शिव योग और सिद्ध योग बन रहा है. यह तीनों योग का समय होगा- रवि योग सुबह 05:23 बजे से सुबह 06:16 बजे तक, शिव योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 02:48 बजे इसके बाद से सिद्ध योग प्रारंभ हो जाएगा.

वट पूर्णिमा 2022 पूजा विधि |  Vat Purnima 2022 Puja Vidhi

वट पूर्णिमा (Vat Purnima) के दिन महिलाएं सुबह महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं. स्नान के पश्चात श्रृंगार की सामग्रियां इकट्ठा करके वट वृक्ष की पूजा के लिए जाती हैं. वहां पहुंचकर बरगद के पेड़ के चारों तरफ कलावा और कच्चा सूत लपेटती हैं. फिर जल अर्पित करके हल्दी, कुमकुम लगाकर विधि विधान से पूजा करती हैं. इसके बाद सावित्री और सत्यवान की कथा सुनी-सुनाई जाती है.  पूजा की समाप्ति के बाद आरती करके मन में पति की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. मान्यता यह भी है कि पूजा के बाद सासू मां को बायना देने से सौभाग्यवती और पुत्रवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

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वट पूर्णिमा व्रत का महत्व |  Importance of Vat Purnima

मान्यता है कि वट यानी बरगद के पेड़ की आयु बहुत लंबी होती है. यही कारण है कि वट पूर्णिमा के दिन महिलाएं व्रत रखकर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. साथ ही अपने पति और घर-परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार,  वट वृक्ष के नीचे तपस्या करके सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी. वहीं हिंदू धर्म में माना जाता है कि बरगद के पेड़ पर त्रिदेवों यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है. इसलिए इस धार्मिक दृष्टि से बरगद के पेड़ को बहुत खास माना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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