Vainayaki Ganesh Chaturthi: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य की शुरूआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. गणपति बप्पा को दुखहर्ता कहा जाता है और यह मान्यता है कि भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूरे मनोभाव से पूजा की जाए तो वे भक्तों के कष्ट हर लेते हैं. पंचांग के अनुसार हर माह में 2 बार संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है जिनमें से एक कृष्ण पक्ष में पड़ता है और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले व्रत को संकष्टी चतुर्थी व्रत के नाम से ही जाना जाता है और शुक्ल पक्ष के व्रत को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) या वैनायकी गणेश चतुर्थी कहते हैं. आज 23 मई के दिन वैनायकी चतुर्थी व्रत रखा जा रहा है.
वैनायकी चतुर्थी व्रत की पूजा | Vainayaki/Vinayak Chaturthi Vrat Puja
चतुर्थी तिथि 22 मई की रात 11 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो चुकी है और इस तिथि का अंत 23 मई की देररात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा. वैनायकी चतुर्थी पर पूजा का शुभ मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 28 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक है. इस मुहूर्त में पूजा करने पर भक्तों को पूजा का शुभ फल मिल सकता है और भगवान गणेश के प्रसन्न होने की संभावना है.
वैनायकी चतुर्थी पर पूजा करने के लिए सुबह-सवेरे उठकर स्नान किया जाता है. स्नान के पश्चात जातक स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं. इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष धूप व दीप आदि जलाए जाते हैं. गणेश भगवान के समक्ष गंगाजल का छिड़काव होता है. पूजा में मिठाई, फल, चंदन, पुष्प और पान के पत्ते आदि अर्पित किए जाते हैं. सिंदुर और मोदक पूजा का अभिन्न अंग होते हैं. इसके अतिरिक्त पूजा में गणेश आरती, गणेश मंत्र और संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का पाठ किया जाता है.
माना जाता है कि जो भक्त भगवान गणेश की विशेष कृपा पाना चाहते हैं वे संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत करते हैं. इस व्रत को करने पर गणपति बप्पा भक्तों की सभी मनोकामनाएं सुनते हैं और उनके दुख हर लेते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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