Tulsi Vivah 2025 Tulsi Garland Rules: सनातन परंपरा में तुलसी को विष्णु प्रिया कहा गया है, जिसके बगैर श्री हरि की पूजा अधूरी मानी जाती है. हिंदू धर्म में जिस तुलसी के पौधे को सुख-सौभाग्य का प्रतीक माना गया है, उसकी माला भी अत्यंत ही शुभता लिए होती है. तुलसी की कंठी माला के बारे में मान्यता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हुए व्यक्ति को तमाम तरह के दोष और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाए रखती है. इसे पहनने वाले व्यक्ति पर भगवान विष्णु की हर समय कृपा बरसती है, लेकिन साथ ही साथ इसे पहनने के लिए कुछेक नियम भी बताए गये हैं. आइए तुलसी की माला को धारण करने के फायदे और नियम दोनों के बारे में विस्तारसे जानते हैं.

तुलसी माला पहनने के नियम एवं लाभ
- हिंदू धर्म में वैष्णव परंपरा को मााने वाले लोग विशेष रूप से तुलसी की माला को धारण करते हैं.
- भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु की कृपा पाने के तुलसी की माला से जप करना विशेष फलदायी माना गया है.
- तुलसी की माला को धारण करने से पहले देख लें कि वह खंडित न हो.
- यदि संभव हो तो तुलसी माला को किसी योग्य संत से पूजन करवाने के बाद प्रसाद स्वरूप धारण करना चाहिए.
- तुलसी की माला को धारण करने वालों को तामसिक चीजों जैसे मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
- तुलसी की माला को धारण करने के बाद उसे बार-बार नहीं उतारना चाहिए. यदि किसी कारणवश उतारना पड़े तो उसे गंगाजल से धोकर धारण करना चाहिए.
- तुलसी की माला से भगवान विष्णु या फिर उनके अवतार जैसे श्री राम और भगवान श्री कृष्ण के मंत्र का जप अत्यंत ही फलदायी माना गया है.
- यदि आप तुलसी की माला को गले की बजाय हाथ में धारण करना चाहते हैं तो उसे अपने दाएं हाथ में ही धारण करें.
- तुलसी की माला को धारण करने वाले व्यक्ति को अनैतिक कार्यों से दूर रहते हुए कभी किसी के लिए बुरा नहीं सोचना चाहिए.
- तुलसी की माला से व्यक्ति के भीतर ईश भक्ति बढ़ती है और वह उसके पुण्य प्रताप से सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में वैकुंठ धाम को प्राप्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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