इस महाभारत कालीन प्रसिद्ध देवी मंदिर ने देखा है दिल्ली को बिगड़ते-बनते

इस महाभारत कालीन प्रसिद्ध देवी मंदिर ने देखा है दिल्ली को बिगड़ते-बनते

दिल्ली के महरौली में स्थित देवी योगमाया का मंदिर

यूं तो भारत की राजधानी दिल्ली (या नई दिल्ली) का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विकास देखने वाली कई इमारतें और स्मारक हैं। उनमें से कुछेक इतनी प्राचीन हैं कि उन्हें हस्तिनापुर से ढिल्ली और ढिल्ली से दिल्ली तक के सफ़र का गवाह माना जा सकता है।
 
यहां बात ऐसे ही एक प्राचीनतम मंदिर की हो रही है, जो महाभारत के समय से है। इस प्राचीन मंदिर ने दिल्ली को कई बार उजड़ते और बसते हुए देखा है। यह मंदिर है दिल्ली के महरौली में स्थित योगमाया मंदिर।
 
आकर्षक भित्ति चित्रों से सजा है संपूर्ण मंदिर
मंदिर की रचना नागर शैली में हुई है। इसके प्रवेशद्वार के ऊपर एक नाग की आकृति उकेरी हुई है, जो चिंतामाया का एक प्रतीकात्मक रूप मानी गयी है। संपूर्ण मंदिर सुन्दर भित्ति चित्रों से सजा है।

मंदिर की दीवारों पर श्रीविष्णु, देवी दुर्गा, लक्ष्मी, यक्ष, गन्धर्व आदि की आकृतियां पत्थरों को काट-काट कर उकेरी गयी हैं।
 
भगवती योगमाया के सिर की पूजा होती है यहां
इस मंदिर के गर्भगृह के द्वार पर योगमाया का मंत्र लिखा हुआ दीखता है। श्रद्धालु इसे पढ़ और जप कर ही आगे बढ़ते हैं।
 
गर्भगृह में देवी योगमाया का विग्रह काफी भव्य और मनमोहक है। यह जमीन पर एक कुण्ड में विराजित है। इस कुण्ड के गोलाकार घेरे में भगवती योगमाया का सिर प्रतिष्ठित है। माया को अशरीरी माना गया है, शायद इसलिए यहां प्रतीकात्मक रूप से केवल सिर की पूजा होती है।
 
भगवान श्रीकृष्ण की बहन थी योगमाया
यूं तो देश में देवी योगमाया के अनेक मंदिर हैं, लेकिन हस्तिनापुर और महाभारत के इतिहास से जुड़े होने के कारण इस देवी मंदिर का महत्त्व बढ़ जाता है। देवी योगमाया के बारे में कहा जाता है कि वे भगवान श्रीकृष्ण की बहन थी, जो उनसे बड़ी थीं।
 
पुराणों अनुसार, देवी देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने ही संकर्षण कर रोहिणी के गर्भ में पहुंचाया था, जिससे श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलरामजी का जन्म हुआ था। मान्यता है कि योगमाया ने ही श्रीकृष्ण के प्राणों की रक्षा थी।

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