108 feet dhoopbatti : किसी भी पूजा-अनुष्ठान या धार्मिक आयोजन में धूप बत्ती जलाना बेहद आम है. लेकिन अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान जो धूप बत्ती जलाई गई वह कई मायनों में खास है. आमतौर पर घरों या मंदिरों में पूजा के दौरान जलाई जाने वाली धूप बत्ती कुछ इंच लंबी होती है. लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा की अयोध्या में जलाई गई ये धूप बत्ती पूरे 108 फुट की थी. जाहिर है कि इस अनोखी धूप-बत्ती की सुगंध और प्रभाव कई किलोमीटर दूर भी महसूस किया गया. ये जानना भी काफी दिलचस्प है कि इस धूपबत्ती की लंबाई ठीक 108 फुट ही क्यों रखी गई. इससे कम या ज्यादा क्यों नहीं. आइए जानते हैं कि धार्मिक दृष्टिकोण से क्या है 108 के अंक का महत्व.
माला में 108 मनके क्यों
हिन्दू धर्म में 108 का अंक काफी मायने रखता है. चाहे कोई मंत्र हो या फिर किसी देवता के नाम का जप करना हो, उसे 108 बार दोहराने की सलाह दी जाती है. नामजप या मंत्र जपने के लिए जिन मालाओं का प्रयोग किया जाता है उनमें भी 108 मनके होते हैं. 108 के अंक का संबंध भगवान शिव से भी जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि भगवान शिव जो तांडव नृत्य करते हैं उनमें 108 मुद्राएं होती है.
क्या खास है 108 के अंक में
कुछ लोग 108 के अंक को भगवान कृष्ण के साथ जोड़ते हैं. कहते हैं कि गोकुल में भगवान कृष्ण के साथ 108 गोपियां थीं, जिन्हें उनकी परम सखी माना गया है. इसके कारण भी 108 का अंक शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र की बात करें तो कुल 12 राशियां होती है जो 9 यानि नवग्रहों में विचरण करती हैं. इसका गुणा करने पर भी 108 का अंक प्राप्त होता है. वैष्णव संप्रदाय का मानना है कि भगवान विष्णु के 108 दिव्य क्षेत्र हैं जिन्हें दिव्यदेशम कहा जाता है. इसी प्रकार शैव संप्रदाय 108 शिवांगों में विश्वास करता है. यही वजह है कि हिन्दू धर्म के किसी भी शाखा के लोग 108 के अंक को शुभ मानते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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