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This Article is From Dec 26, 2019

Solar Eclipse 2019: सूर्य ग्रहण के बाद दुष्प्रभावों से बचने के लिए करें ये 6 काम

यह ग्रहण इस साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण है. भारत में सूर्योदय के बाद इसे दक्षिणी भाग में देखा गया. हालांकि, देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई दिया.

Solar Eclipse 2019: सूर्य ग्रहण के बाद दुष्प्रभावों से बचने के लिए करें ये 6 काम
सूर्य ग्रहण के बाद जरूर करें ये काम.
नई दिल्ली:

Surya Grahan 2019: 26 दिसंबर को इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) दिखाई दिया. Solar Eclipse को भारत, ऑस्ट्रेलिया, फिलिपिंस, साउदी अरब और सिंगापुर जैसी जगहों पर देखा गया. यह ग्रहण सुबह 8 बजे से शुरू हुआ था, जबकि वलयाकार सूर्यग्रहण की अवस्था सुबह 9.06 बजे शुरू हुई थी. सूर्य ग्रहण की वलयाकार अवस्था दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगी. वहीं ग्रहण की आंशिक अवस्था दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी. आपको बता दें कि 2019 में इससे पहले 6 जनवरी और 2 जुलाई को आंशिक सूर्यग्रहण लगा था. हालांकि, यह ग्रहण इस साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण है. भारत में सूर्योदय के बाद इसे दक्षिणी भाग में देखा गया और देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई दिया.

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मान्यता अनुसार ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता. ना ही पूजा की जाती है और ना ही खाना खाया या बनाया जाता है. इसके साथ ही प्रेग्नेंट महिलाओं को ग्रहण के दौरान बहुत ज्यादा ही सावधानियां बरतने को कहा जाता है लेकिन लोग ग्रहण के बाद भी इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ काम करते हैं.

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ग्रहण के दुष्प्रभावों को खत्म करने के लिए करें ये काम
1. मान्यता है कि ग्रहण के तुरंत बाद किसी भी काम को करने से पहले नहाना चाहिए. 
2. सिर्फ खुद को ही नहीं बल्कि घर के मंदिर में मौजूद सभी भगवानों की मूर्तियों को भी नहलाना या फिर गंगाजल छिड़कना चाहिए. 
3. मूर्तियों और खुद को नहलाने के बाद पूरे घर में धूप-बत्ती कर शुद्धीकरण किया जाना चाहिए.
4. घर में या बाहर मौजूद तुलसी के पौधे को भी गंगाजल डालकर स्वच्छ करना चाहिए. 
5. कुछ लोग तो अपने घरों को भी पानी से धो डालते हैं. 
6. मान्यता है कि ग्रहण के बाद मन की शुद्धी के लिए दान-पुण्य भी करना चाहिए.

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क्या होता है सूर्य ग्रहण?
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ अपने सौरमंडल के सूर्य के चारों ओर भी चक्कर लगाती है. दूसरी ओर, चंद्रमा दरअसल पृथ्वी का उपग्रह है और उसके चक्कर लगता है, इसलिए, जब भी चंद्रमा चक्कर काटते-काटते सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तब पृथ्वी पर सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से दिखना बंद हो जाता है. इसी घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है. इस खगोलीय स्थिति में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं. सूर्यग्रहण अमावस्या के दिन होता है, जबकि चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन पड़ता है.

क्या कहती है पौराणिक कथा?
एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चला. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छीन लिया गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है. 

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21 जून 2020 को दिखेगा अगला सूर्य ग्रहण
अगला सूर्य ग्रहण भारत में 21 जून, 2020 को दिखाई देगा. यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. वलयाकार अवस्था का संकीर्ण पथ उत्तरी भारत से होकर गुजरेगा. देश के शेष भाग में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा.

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