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Bhagwan Surya Dev ki Aarti in Hindi: नवग्रहों के राजा सूर्यदेव की आरती, जिसे करते ही सोने जैसा चमकता है भाग्य

Bhagwan Surya Dev ki Aarti Hindi Lyrics: सनातन परंपरा में रविवार का दिन सूर्य देवता को समर्पित है. नवग्रहों के राजा माने जाने वाले जिस सूर्य देव की पूजा से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है, उनकी रविवार के दिन आरती करने का बहुत ज्यादा पुण्यफल माना गया है. पढ़ें पंचदेवता में से एक भगवान सूर्यदेव की आरती.

Bhagwan Surya Dev ki Aarti in Hindi: नवग्रहों के राजा सूर्यदेव की आरती, जिसे करते ही सोने जैसा चमकता है भाग्य
भगवान सूर्य की आरती (Bhagwan Surya Dev ki Aarti)
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Bhagwan Surya Dev ki Aarti Hindi: सनातन परंपरा में रविवार का दिन पंचदेवता में से एक भगवान सूर्य के लिए समर्पित है. हिंदू मान्यता के अनुसार रविवार के दिन प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य की साधना-आराधना करने से व्यक्ति को सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है. सूर्यदेव की कृपा से उस व्यक्ति को जीवन में मान-सम्मान प्राप्त होता है. सदियों से चली आ रही जिस सूर्य पूजा को हिंदू धर्म से जुड़े लोग करते हैं, उसमें की जाने वाली आरती का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि रविवार के दिन नवग्रहों के राजा सूर्य देवता की आरती करने पर ही उनकी पूजा पूर्ण होती है. आइए सूर्य देवी का आशीर्वाद बरसाने वाली आरती का गान करते हैं. 

कैसे करें सूर्य देवता की आरती 

  • जिस सूर्य देवता की पूजा का महत्व वेद और पुराण आदि में विस्तार से बताया गया है, उनका आशीर्वाद पाने के लिए व्यक्ति को रविवार के दिन विशेष रूप से पूजा और आरती करनी चाहिए. 
  • सूर्यदेव की पूजा और आरती करने के लिए सबसे पहले तन और मन से पवित्र हो जाएं. 
  • इसके बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लेकर उसमें रोली, अक्षत और लाल रंग के पुष्प डालें. उसके बाद दोनो हाथ से उसे सिर के उपर उठाकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें. 
  • सूर्य देवता को अर्घ्य देते समय उनके मंत्र 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' का जप अवश्य करें. 
  • इसके बाद भगवान सूर्य की शुद्ध देशी घी के बने दीये और धूप को जलाकर विधि-विधान से आरती करें. 
  • आरती के बाद भगवान सूर्य को प्रणाम करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगे. 

सूर्य देवता की आरती | Surya Dev Ki Aarti

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान.
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा.
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान.
ॐ जय सूर्य भगवान...

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी. तुम चार भुजाधारी.
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे. तुम हो देव महान.
ॐ जय सूर्य भगवान...

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते. सब तब दर्शन पाते.
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा. करे सब तब गुणगान.
ॐ जय सूर्य भगवान...

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते. गोधन तब घर आते.
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में. हो तव महिमा गान.
ॐ जय सूर्य भगवान...

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते. आदित्य हृदय जपते.
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी. दे नव जीवनदान.
ॐ जय सूर्य भगवान...

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार. महिमा तब अपरम्पार.
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते. बल, बुद्धि और ज्ञान.
ॐ जय सूर्य भगवान...

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं. सब जीवों के प्राण तुम्हीं.
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने. तुम ही सर्वशक्तिमान.
ॐ जय सूर्य भगवान...

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल. तुम भुवनों के प्रतिपाल.
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी. शुभकारी अंशुमान.
ॐ जय सूर्य भगवान...

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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