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This Article is From Jun 28, 2022

Somvar Vrat Udyapan: इस आसान विधि से कर सकते हैं सोमवार व्रत का उद्यापन, मिलता है शिवजी का विशेष आशीर्वाद

Somvar Vrat Udyapan: भक्त भगवान शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सोमवार का व्रत रखते हैं. मान्यता है कि सोमवार का व्रत करने वालों को इसका उद्यापन भी करना होता है.

Somvar Vrat Udyapan: इस आसान विधि से कर सकते हैं सोमवार व्रत का उद्यापन, मिलता है शिवजी का विशेष आशीर्वाद
Somvar Vrat Udyapan: जानिए सोमवार व्रत के उद्यापन की आसान विधि.

Somvar Vrat Udyapan: भगवान भोलेनाथ (Bholenath) को प्रसन्न करने के भक्तों द्वारा सोमवार का व्रत (Somvar Vrat) किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि सोमवार देवों के देव महादेव को समर्पित है. इसलिए अधिकांश लोग सोमवार का व्रत विधि (Somvar Vrat Vidhi) पूर्वक करते हैं और इस दौरान भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना करते हैं. साथ ही घर-परिवार में खुशहाली बनी रहे, इस कामना के साथ सोलह सोमवार का व्रत (Solah Somvar Vrat) भी रखा जाता है. सोलह सोमवार (16 Somvar Vrat) का व्रत खास तौर पर कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति की कामना से रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने के लिए जितने दिन का संकल्प लिया जाता है, उतने दिन पूरी निष्ठा विधि-विधान से व्रत का पालन करना अनिवार्य होता है. मनोकामना पूरी हो जाने के बाद भक्त सोमवार व्रत का उद्यापन (Somvar Vrat Udyapan) करते हैं. आइए जानते हैं कि सोमवार व्रत के उद्यापन की सही और आसान विधि क्या है. 

सोमवार व्रत उद्यापन विधि | Somvar Vrat Udyapan Vidhi

धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस दिन सोमवार व्रत का उद्यापन (Somvar Vrat Udyapan) करना होता है, उस दिन भक्त सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं. शौच आदि कर्म से निवृत होकर सफेद वस्त्र धारण करते हैं. 

पूजा स्थल को जल या गंगाजल से पवित्र किया जाता है. इसके बाद केले के पत्ते से चौकोर मंडपनुमा बनाया जाता है. इसके बाद इसे फूलों से सजाया जाता है. 

पूजा की चौकी को मंडप के बीत में रखकर उस पर सफेद रंग का स्वच्छ वस्त्र बिछाया जाता है. फिर उस पर गंगाजल छिड़ककर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है. इसके अलावा चौकी पर विशेष धातु से बने चंद्रमा को भी स्थापित किया जाता है. 

पूजा स्थान पर पूजन की सामग्री को रखकर पूर्व की तरफ मुंह करके स्वच्छ आसन पर बैठा जाता है. इसके बाद आसन शुद्धि और शरीर शुद्धि की जाती है. 

पूजा में भगवान शिव और मां पर्वती को फूल माला अर्पित की जाती है. फिर उन्हें पंचामृत का भोग लगाया जाता है. साथ शिवलिंग पर गंगाजल, जल, दूध, दही, शहद अर्पित किया जाता है. 

इसके बाद भगवान शिव को भांग, बेलपत्र, धतूरा इत्यादि अर्पित किए जाते हैं. फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती की जाती है. 

आरती के बाद पूजा स्थल पर उपस्थित भक्तों और घर के सदस्यों के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है. इसके बाद जो व्रत का उद्यापन करते हैं, वे भोजन ग्रहण कर सकते हैं. हालांकि सोमवार व्रत उद्यापन के दिन पूजा संपन्न होने के बाद दिन में सिर्फ एक बार ही भोजन किया जाता है. व्रती अगर इस दिन नमक का सेवन ना करें तो और भी अच्छा रहता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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