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Skanda Shashti 2025: भगवान कार्तिकेय का मिलेगा आशीर्वाद, स्कंद षष्ठी के दिन इस तरह से करें पूजा

स्कंद षष्ठी पर्व भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता हैं, जो भगवान शिव मां पार्वती के पुत्र हैं और देवताओं के सेनापति माने जाते हैं. ऐसे में इस पर्व पर कैसे आपको कार्तिकेय जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए आइए हम आपको बताते हैं.

Skanda Shashti 2025: भगवान कार्तिकेय का मिलेगा आशीर्वाद, स्कंद षष्ठी के दिन इस तरह से करें पूजा
पूजा किस दिन की जाएगी, आपको किस तरह से भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना करनी चाहिए और इसका महत्व क्या है.

Skanda Shashti 2025 Puja: दक्षिण भारत के प्रमुख पर्वों में से एक स्कंद षष्ठी पर्व भी है, जो भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikeya) को समर्पित होता हैं. इसे तमिलनाडु में कंद षष्ठी भी कहा जाता है, कहते हैं इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और मां पार्वती के (Maa Parvati) पुत्र कार्तिकेय की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है और भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती हैं. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इस बार स्कंद षष्ठी (Skanda Shashti) की पूजा किस दिन की जाएगी, आपको किस तरह से भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना करनी चाहिए और इसका महत्व क्या है.

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स्कंद षष्ठी पर्व 2025
हिंदू पंचांग के अनुसार, स्कंद षष्ठी पर्व पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 4 जनवरी को देर रात 10:00 बजे से शुरू होकर अगले दिन 5 जनवरी 2025 को रात 8:15 तक रहेगा, ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 5 जनवरी 2025, रविवार के दिन ही स्कंद षष्ठी पर्व मनाया जाएगा. यह साल की पहली षष्ठी होगी, जब भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना की जाएगी.

इस तरह करें भगवान कार्तिकेय की पूजा
स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिक की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करके नए या स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर के मंदिर की साफ सफाई करें या घर में एक साफ सुथरा स्थान चुनें. वहां पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं, ऊपर से फूलों से सजाएं, भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र को एक आसन पर स्थापित करें. पूजा के लिए जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप आदि चीजों को एकत्रित करें. भगवान कार्तिकेय के सामने दीपक जलाएं, इसके बाद गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से उनका अभिषेक करें. तत्पश्चात् भगवान को चंदन और अक्षत लगाकर उनका तिलक करें, भगवान को फूल अर्पित करें, खासकर कमल का फूल उन्हें जरूर चढ़ाएं. इसके अलावा भगवान को फल, मिठाई और अन्य नैवेद्य अर्पित करें. अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करें, स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ करें और सच्चे मन से भगवान कार्तिकेय की आराधना करें. ध्यान रखें कि पूजा के समय किसी प्रकार का वाद-विवाद झगड़ा ना करें और इस दिन मांस मदिरा का सेवन नहीं करें.

स्कंद षष्ठी पूजा में करें इन मंत्रों का जाप
ॐ षडाननाय नमः
ॐ स्कन्ददेवाय नमः
ॐ शरवणभवाय नमः
ॐ कुमाराय नमः

स्कंद षष्ठी पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी पूजा का विशेष महत्व है, जो भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता हैं, इन्हें युद्ध का देवता कहा जाता हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय ने असुरों के राजा तारकासुर का संघार किया था, यह पर्व साहस, दृढ़ता और बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं कि जो दंपति इस दिन सच्चे मन से ध्यान कर कार्तिकेय भगवान की पूजा करते हैं, उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत और पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. मान्यताओं के अनुसार, यह भी कहा जाता है कि स्कंद षष्ठी पर पूजा करने से घर में जो भी बुरी शक्तियां होती है उनका नाश होता है और भगवान कार्तिकेय की कृपा से घर में सुख शांति और समृद्धि आती हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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