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कब और क्यों मनाया जाता है सिंजारा? जानें सुहागिनों से जुड़े इस पर्व की धार्मिक मान्यता और विधि

Sinjara festival 2025: श्रावण शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली हरियाली तीज से ठीक एक दिन पहले सुहागिन महिलाओं के पीहर से आने वाला सिंजारा क्या होता है? इसे भेजने के पीछे का कारण और धार्मिक महत्व जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

कब और क्यों मनाया जाता है सिंजारा? जानें सुहागिनों से जुड़े इस पर्व की धार्मिक मान्यता और विधि

Sinjara kab hai 2025: भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा बरसाने वाले श्रावण मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को सिंजारा कहते हैं. यह पर्व शादीशुदा स्त्रियों के लिए बहुत मायने रखता है. श्रावण मास में पड़ने वाली हरियाली तीज (Hariyali Teej) से पहले मनाए जाने वाले इस पर्व के पीछे सुहागिन महिला के मायके से मेंहदी, मिठाई, फल, श्रृंगार का सामान, आभूषण आदि के साथ विशेष रूप से घेवर-फेनी नेग के रूप में भेजने की परंपरा है. इस लोक परंपरा के पीछे सुहागिन स्त्री के लिए सुखी जीवन और मंगलकामनाएं समाहित होती है. मान्यता है कि हरियाली तीज से पहले पीहर से लोग सिंजारा भेज कर उसके सुख-सौभाग्य को हमेशा कायम रहने की कामना करते हैं. 

पीहर से भेजा जाता है नेग 

हरियाली तीज से ठीक एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस पावन पर्व पर विवाहित स्त्रियों के मायके से छोटा भाई या बहन के द्वारा इस सिंधारा(Sindhara) की रस्म या फिर परंपरा निभाई जाती है. इस दिन शादीशुदा स्त्री के पास उसके मायके के लोग अपनी क्षमता के अनुसार श्रृंगार की विभिन्न प्रकार की सामग्री के साथ वस्त्र, फल, गहने, आदि लेकर पहुंचते हैं. कुल मिलाकर कहें तो सिंधारा के पावन पर्व पर विवाहित महिला के मायके से उपहार और मीठे पकवान आदि भेजने की परंपरा है.

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तब इस तरह लोग भेजते हैं सिंजारा

जिन लोगों के घर में पिता अथवा भाई नहीं होते हैं, वहां पर बहन भी सिंजारा लेकर जाती हैं. आज के आपाधापी भरे दौर में जब लोगों का एक शहर से दूसरे शहर या फिर राज्य आदि में पहुंचना मुश्किल भरा होता है तो लोग कोरियर के द्वारा भी सिंजारा भेजते हैं. 

किस तरह मनाया जाता है सिंजारा 

सिंजारा पर्व के दिन सु​हागिन स्त्रियां विशेष रूप से अपने हाथों में मेंहदी रचाती हैं. इस दिन साज-श्रृंगार करके झूला झूलने की परंपरा है. इस दिन महिलाएं एक दूसरे को उपहार देकर शुभकामनाएं देती हैं. 

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तीज से पहले भी होती शिव पार्वती की पूजा

श्रावण मास के शुक्लपक्ष की जिस तीज वाले दिन भगवान शिव (Lord Shiva) ने माता पार्वती (Mata Parvati)  को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, उसके ठीक एक दिन पूर्व मनाए जाने वाले सिंजारा पर्व पर वाले दिन भी महिलाएं अपने अखंड सुहाग की कामना लिए शिव-पार्वती की विशेष पूजा करती हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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