Sheetala Ashtami 2022: होली के आठ दिन बाद शीतला अष्टमी मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने व व्रत रखने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं और कष्टों का निवारण करती हैं खासकर कि रोगों से मुक्ति दिलाती हैं. चैत्र कृष्ण अष्टमी, 25 मार्च के दिन शीतला अष्टमी मनाई जाएगी. इसे बसोड़ा (Basoda) भी कहते हैं क्योंकि इस दिन बासी खाना खाया जाता है. आज भी भक्त इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाते बल्कि एक रात पहले ही भोग तैयार कर लेते हैं.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी सभी को शीतला अष्टमी की बधाई दी है.
शीतला अष्टमी पर बासी खाने की मान्यता
मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) के दिन ना सिर्फ भक्त बासी खाना खाते हैं बल्कि शीतला माता को भी बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. इस दिन ताजा प्रसाद बनाने की बजाय ठंडा रखा बासी खाना ही ग्रहण किया जाता है. इसके पीछे मान्यता है कि शीतला माता को बासी भोजन प्रिय है जिस चलते भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंद के भोग उन्हें चढ़ाते हैं, जैसे ठंडे बासी पुए, दाल-भात और पूड़ी आदि. व्रत (Sheetala Vrat) वाले दिन पूजा से पहले घरों में चूल्हा भी नहीं जलाया जाता.
इस तरह की जाती है पूजाशीतला माता (Sheetala Mata) की पूजा करने के बाद भक्त उन्हें चढ़ाए जाने वाले जल से ही आखें धोते हैं. मान्यतानुसार पूजा करते हुए शीतला माता को हल्दी का तिलक लगाया जाता है और घर में भी उसी हल्दी से स्वास्तिक बनाते हैं.
पूजा के समय शीतला माता के मंत्र 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः' का जाप किया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मंत्र सभी कष्टों का निवारण करता है. भक्त माता शीतला से यह अनुग्रह करते हैं कि वे उनकी घर-गृहस्थी पर अपनी कृपा बनाए रखें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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