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This Article is From Mar 30, 2021

Sheetala Ashtami 2021: कब है शीतला अष्टमी? जानिए इस दिन क्यों लगाया जाता है माता को बासी खाने का भोग

Sheetala Ashtami 2021: चैत्र मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस बार शीतला अष्टमी 4 अप्रैल को है. 

Sheetala Ashtami 2021: कब है शीतला अष्टमी? जानिए इस दिन क्यों लगाया जाता है माता को बासी खाने का भोग
Sheetala Ashtami: शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा के समय उन्हें खास मीठे चावलों का भोग चढ़ाया जाता है.
नई दिल्ली:

Sheetala Ashtami 2021 Date: चैत्र मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami 2021) हिन्दुओं का त्योहार है. यह त्योहार होली के बाद आता है. इसमें शीतला माता का व्रत और पूजन किया जाता है. कृष्ण पक्ष की इस शीतला अष्टमी को बासौड़ा (Basoda) और शीतलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता. इसलिए इस दिन बासी खाना खाया जाता है और शीतला माता को भी बासी खाने का भोग लगाया जाता है. साथ ही ये अष्टमी ऋतु परिवर्तन का संकेत देती है. इस बदलाव से बचने के लिए साफ-सफाई का पूर्ण ध्यान रखना होता है. इस बार शीतला अष्टमी 4 अप्रैल को है. 

शीतला अष्टमी 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त (Sheetla Ashtami 2021 Shubh Muhurat)

शीतला अष्टमी रविवार 4 अप्रैल को 
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त - सुबह 06:08 से शाम 06:41 तक
अवधि - 12 घंटे 33 मिनट
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 04, 2021 को सुबह 04:12 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - अप्रैल 05, 2021 को देर रात 02:59 बजे

शीतला माता का रूप
शीतला माता को चेचक जैसे रोग की देवी माना जाता है. यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए होती हैं. गर्दभ की सवारी किए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं.


चावल का प्रसाद
शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा के समय उन्हें खास मीठे चावलों का भोग चढ़ाया जाता है. ये चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाए जाते हैं. इन्हें सप्तमी की रात को बनाया जाता है. इसी प्रसाद को घर में सभी सदस्यों को खिलाया जाता है. शीतला अष्टमी के दिन घर में ताज़ा खाना नहीं बनता.

शीतला अष्टमी की पूजा विधि
- सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर नहाएं. 
- पूजा की थाली तैयार करें. थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें.
- दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें. 
- दोनों थाली के साथ में लोटे में ठंडा पानी रखें.
- शीतला माता की पूजा करें और दीपक को बिना जलाए ही मंदिर में रखें. 
- माता को सभी चीज़े चढ़ाने के बाद खुद और घर से सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं.
- अब हाथ जोड़कर माता से प्रार्थना करें और 'हे माता, मान लेना और शीली ठंडी रहना' कहें.
-  घर में पूजा करने के बाद अब मंदिर में पूजा करें.
- मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाएं. रोली और हल्दी के टीका करें.
- मेहंदी, मोली और वस्त्र अर्पित करें. 
-. बड़कुले की माला व आटे के दीपक को बिना जलाए अर्पित करें.
- अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाएं. इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं और थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़कें.
- इसके बाद जहां होलिका दहन हुआ था वहां पूजा करें. थोड़ा जल चढ़ाएं और पूजन सामग्री चढ़ाएं.
- घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें. 
- अगर पूजन सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दे दें.

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