Sharad Purnima: अश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन कोजागिरी मनाई जाती है इसलिए इसे कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ होते हैं. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों के साथ अमृत की वर्षा होती है. इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है ताकि अमृत के लाभ खीर में आ जाएं. इस खीर के सेवन से सेहत को कई लाभ होते हैं. लेकिन, इस वर्ष 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लगने जा रहा है जिसके कारण खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना शुभदाई नहीं होगा. आइए जानते हैं चंद्रग्रहण (Chandra Grahan) के कारण इस बार शरद पूर्णिमा पर क्या-क्या करना वर्जित रहेगा.
कब है शरद पूर्णिमा और कब लगेगा चंद्रग्रहण
इस वर्ष शरद पूर्णिमा की तिथि 28 अक्टूबर, शनिवार को प्रात: 4 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 29 अक्टूबर रविवार को रात 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी. इस वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर को मध्यरात्रि 1 बजकर 6 मिनट से 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगा और सूतक काल 28 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 52 मिनट से मध्यरात्रि 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.
ग्रहण के समय न रखें खीरचंद्र ग्रहण के सूतक (Sutak Kaal) के कारण इस बार शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर रखने से वह दूषित हो जाएगा. दूषित खीर खाने से सेहत को लाभ की जगह हानि हो सकती है.
खीर का भोग न लगाएंशरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया होने के कारण चंद्रमा की रोशनी में खीर (Kheer) नहीं रखी जा सकेगी और न ही उससे भगवान को भोग लगाया जा सकेगा.
सूतककाल में न करें ये कामशास्त्रों के अनुसार, सूतक काल में भगवान की प्रतिमा को स्पर्श करना, भोजन, सोना, नाखून काटना, वर्जित माना गया है. तैयार भोजन, कटी सब्जियां व फल ग्रहणकाल में दूषित हो जाते हैं उनका उपयोग नहीं करना चाहिए. हालांकि, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग व बच्चों को जरूरत पड़ने पर भोजन या दवा लेने से दोष नहीं लगता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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