Shani Jayanti 2021: हिन्दू पंचांग के अनुसार, शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या और वट सावित्री व्रत के दिन मनाई जाती है. आज 10 जून को शनि जयंती मनाई जा रही है. भगवान शनि देव के जन्मदिवस को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है. शनि जयंती को शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. शनि जयंती और वट सावित्री व्रत दोनों एक ही दिन होते हैं. हिन्दू धर्म में इसका खास महत्व है. इस दिन शनि देव की पूरे विधि-विधान से खास पूजा- अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की उपासना करने से शनिजनित दोषों को कम किया जा सकता है.
शनि जयंती का महत्व
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शनि, सूर्यदेव के पुत्र व शनि ग्रह के स्वामी हैं. कहा जाता है कि शनि जयंती के दिन उनकी पूजा करने से सभी मंगल कामनाएं पूर्ण होती हैं. कहते हैं कि जिन्हें शनि का आशीर्वाद नहीं मिलता उन्हें अनेक यातनाओं का सामना करना पड़ता है. शनि जयंती को शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.
पूजन सामग्री
शनि देव की प्रतिमा या फोटो, चावल, काला तिल, काली उड़द, नारियल, काला धागा, फूल, धूप-अगरबत्ती, दीपक, सरसों का तेल, नैवेद्य, फल-फूल, रूई, पूड़ियां, लौंग, इलायची, पान-सुपारी, गंगाजल और लोहे की नाल.
शनि जयंती की पूजा विधि
- शनि जयंती के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प लें.
- शनि देव की पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है.
- अब घर के मंदिर में पश्चिम दिशा की ओर बैठकर शनि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
- अब तेल का दीपक जलाएं.
- दीपक में काले तिल जरूर डालें.
- अब शनि देव को फल-फूल, नारियल, सरसों का तेल, इलायची, पान-सुपारी और लोहे की नाल अर्पित करें.
- इसके बाद उन्हें धूप-बत्ती दिखाकर आरती उतारें.
- आरती के बाद शनि महाराज को तेल में बनीं पूड़ियों का भोग लगाएं.
- घर के सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें.
- शनि जयंती के दिन गरीबों को तेल, उड़द और चावल का दान देना अच्छा माना जाता है.
- शनि जयंती के दिन सूर्य उपासना नहीं करनी चाहिए.
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