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शनि प्रदोष व्रत के दिन साढ़े साती का ऐसे कर सकते हैं प्रभाव कम, बस करें ये काम

इस दिन आप खास तरह का उपाय कर लेते हैं तो फिर आपकी कुंडली में साढ़ेसाती का असर कम हो सकता है. 

शनि प्रदोष व्रत के दिन साढ़े साती का ऐसे कर सकते हैं प्रभाव कम, बस करें ये काम
Shani Upay 2205 : शनि के बुरे प्रभाव कम करने के लिए काला तिल मिलाकर पेड़ के समक्ष दीया जलाएं.

Shani pradosh vrat 2025 : इस साल मई महीने का दूसरा प्रदोष व्रत शनि प्रदोष है क्योंकि यह शनिवार के दिन पड़ रहा है. शनि प्रदोष के दिन भगवान शिव व शनि देव की पूजा-अर्चना की जाती है. पंचांग के मुताबिक इस शनि प्रदोष व्रत के दिन  आयुष्मान व सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है. इससे शनि के बुरे प्रभाव कम हो सकते हैं. इस दिन आप खास तरह का उपाय कर लेते हैं, तो फिर आपकी कुंडली में साढ़ेसाती का असर कम हो सकता है. 

साढ़ेसाती का प्रभाव कैसे करें कम - How to reduce the effect of Sadesati

- शनि प्रदोष व्रत के दिन आप काले तिल, काले उड़द की दाल और सरसों के तेल का दान करते हैं तो आपकी कुंडली में शनि की महादशा का असर कम हो सकता है. 

- शनि प्रदोष के दिन आप गरीबों को दान कर सकते हैं. इस दिन आप वस्त्र, धन का दान करेंगे तो जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. 

- शनि प्रदोष के दिन शनि और शिव चालीसा का पाठ करने से दोष कम होता है. साथ ही शनिदोष को कम करने के लिए आप शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं. 

- साथ ही इस दिन आप सुंदर कांड का पाठ भी कर सकते हैं. इससे जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर होती हैं. आप पर सदैव शनि और हनुमान जी की सकारात्मक दृष्टि बनी रहती है. 

- शनि के बुरे प्रभाव कम करने के लिए काला तिल मिलाकर पेड़ के समक्ष दीया जलाएं. इससे शनि दोष का असर कम होता है. 

शनि मंत्र

- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

- नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् |
चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||

- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

- ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ मन्दाय नमः।।
ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।।

- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्

- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।

- ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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