चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या भी कहा जाता है. चूंकि अमावस्या के दिन चंद्र के दर्शन नहीं होने की वजह से इसे दर्श अमावस्या भी कहा जाता है. संयोग है कि इस बार ये चैत्र अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है. ऐसे में इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है. यह दिन कालसर्प, शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए दुर्लभ दिन है. इस दिन का पूजन बेहद फलकारी और शनिदोष से मुक्ति देने वाला होता है. सहस्त्र गुना फलदायी इस अमावस्या का पूजन शुभ मुहुर्त में करना अहम है.
सुबह का पूजन
शनि अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर शनिदेव का ध्यान करें। इसके बाद जल पात्र में गुड़ और तिल डालकर उसे पीपल के वृक्ष को अर्पित करें और सरसों के तेल में दिया जलाएं. इसके बाद अपनी मनोकामना को मन में ध्यान करते हुए पीपल के वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करें.
शनि अमावस्या का मुहुर्त
चैत्र अमावस्या को विक्रमी संवत् का आखिरी दिन माना जाता है. 17 मार्च 2018 को पड़ रही शनि अमावस्या के दिन शाम 6:13 मिनट से शाम 7:13 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. इस वक्त में आप शनि देव को प्रसन्न कर शनि दोष से मुक्ति पा सकते हैं.
विशेष पूजन विधि
ऐसा माना जाता है कि शनि अमावस्या के दिन विशेष पूजन, स्नान, उपाय व उपवास से पितृगण को तृ्प्ति मिलती है, साथ ही शनि दोष से मुक्ति की भी मान्यता है. इस दिन विशेष पूजन का विधान है. ऐसे में घर की पश्चिम दिशा में काले कपड़े पर शनिदेव की मूर्ति या उनका चित्र स्थापित करें. शनिदेव की सच्चे मन से आराधना करते हुए सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पीपल के पत्ते चढ़ाएं. शनिश्चरी अमावस्या के इस पूजन में तिल और काजल चढ़ाएं. इसके बाद उन्हें उड़द की खिचड़ी का भोग लगाएं. इसके साथ शं शनैश्चराय कर्मकृते नमः मंत्र का एक माला मंत्रोच्चार करें. इसके बाद बचे हुए भोग को काली गाय को दान करें.
शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति दान करें ये
मान्यता है कि इस दिन शनि दोष से से पीड़ित व्यक्तियों को शनि यंत्र धारण करना चाहिए और काले वस्त्र पर नारियल को तेल लगाकर, काला तिल, उड़द की दाल, घी जैसी वस्तुओं का दान करना चाहिए.
सुबह का पूजन
शनि अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर शनिदेव का ध्यान करें। इसके बाद जल पात्र में गुड़ और तिल डालकर उसे पीपल के वृक्ष को अर्पित करें और सरसों के तेल में दिया जलाएं. इसके बाद अपनी मनोकामना को मन में ध्यान करते हुए पीपल के वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करें.
शनि अमावस्या का मुहुर्त
चैत्र अमावस्या को विक्रमी संवत् का आखिरी दिन माना जाता है. 17 मार्च 2018 को पड़ रही शनि अमावस्या के दिन शाम 6:13 मिनट से शाम 7:13 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. इस वक्त में आप शनि देव को प्रसन्न कर शनि दोष से मुक्ति पा सकते हैं.
विशेष पूजन विधि
ऐसा माना जाता है कि शनि अमावस्या के दिन विशेष पूजन, स्नान, उपाय व उपवास से पितृगण को तृ्प्ति मिलती है, साथ ही शनि दोष से मुक्ति की भी मान्यता है. इस दिन विशेष पूजन का विधान है. ऐसे में घर की पश्चिम दिशा में काले कपड़े पर शनिदेव की मूर्ति या उनका चित्र स्थापित करें. शनिदेव की सच्चे मन से आराधना करते हुए सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पीपल के पत्ते चढ़ाएं. शनिश्चरी अमावस्या के इस पूजन में तिल और काजल चढ़ाएं. इसके बाद उन्हें उड़द की खिचड़ी का भोग लगाएं. इसके साथ शं शनैश्चराय कर्मकृते नमः मंत्र का एक माला मंत्रोच्चार करें. इसके बाद बचे हुए भोग को काली गाय को दान करें.
शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति दान करें ये
मान्यता है कि इस दिन शनि दोष से से पीड़ित व्यक्तियों को शनि यंत्र धारण करना चाहिए और काले वस्त्र पर नारियल को तेल लगाकर, काला तिल, उड़द की दाल, घी जैसी वस्तुओं का दान करना चाहिए.
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