
Shiv vas yog kya hota hai : देवों के देव महादेव का महीना सावन इस साल 11 जुलाई से शुरू हो रहा है और 9 अगस्त पूर्णिमा के दिन समाप्त. इस दौरान भगवान शिव के भक्त महादेव की भक्ति में डूबे रहेंगे. हर सोमवार को व्रत रखेंगे और विधिवत भोलेनाथ की पूजा अर्चना करेंगे. आपको बता दें कि इस साल का सावन बहुत खास होने वाला है, क्योंकि शिव वास योग में शुरू हो रहा है. इस योग की क्या खासियत है, इसके बारे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से...
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क्या होता है शिववास योग
पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि भगवान शिव का वास हर महीने अलग-अलग तिथियों पर बदलता रहता है, जिसे हम शिव वास कहते हैं. शिव वास यह निर्धारित करता है कि किस दिन भगवान शिव किस स्थान पर निवास कर रहे हैं, जो पूजा के फल को प्रभावित करता है.
आपको बता दें कि शिव वास का पूजा में विशेष महत्व है. शिव वास यह जानने में मदद करता है कि भगवान शिव किस स्थान पर हैं और किस समय उनकी पूजा करना फलदायी होगी. भगवान शिव के वास के अनुसार पूजा करने से सैकड़ों गुणा पुण्य मिलता है और कार्य सिद्धि होती है. यह शनि दोष, पितृ दोष, ग्रह दोष, मंगल दोष और कालसर्प दोष जैसे दोषों से मुक्ति पाने के लिए शुभ समय होता है.
हवन, यज्ञ, रुद्राभिषेक, महामृत्युंज मंत्र जाप या अन्य विशेष शिव पूजा से पहले शिव वास जानना महत्वपूर्ण होता है. हालांकि सावन के महीने में शिवरात्रि, सोमवार और ज्योतिर्लिंगों में कभी भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है. इसके लिए शिव वास देखने की आवश्यकता नहीं है.
कैसे जानें शिव वास योग
- शिव वास को जानने की विधि इस प्रकार से है. शिव वास की गणना के लिए, तिथि को 2 से गुणा करें, फिर उसमें 5 मिलाएं, और योग को 7 से भाग करें.
- यदि शेष 1 बचे तो शिव जी का वास कैलाश पर शेष 2 बचे तो माता गौरी के बगल में है. यह पूजा के लिए शुभ समय है.
- शेष 3 बचने पर, शिव जी अपनी नंदी पर सवार होकर पृथ्वी का भ्रमण करते हैं, और यह भी शुभ माना जाता है.
- शेष 0, 4, 5 या 6 बचने पर, शिव वास प्रतिकूल माना जाता है,और इस समय विशेष शिव पूजा से बचना चाहिए.
- उदाहरण: यदि आप शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर शिव वास देखना चाहते हैं, तो:
- 2 (तिथि) * 2 = 4
- 4 + 5 = 9
- 9 / 7 = 1 (शेष 2)
- इस प्रकार, शेष 2 बचने पर, शिव माता गौरी के साथ निवास करते हैं, और यह पूजा के लिए शुभ समय होता है.
- भगवान शिव का वास जनकल्याण और लोक कल्याण के लिए बदलता रहता है.
- शुक्ल पक्ष की तिथियों में शिव वास इस प्रकार होता है- 2,5,6,9,12,13
- कृष्ण पक्ष की तिथियों में शिव वास इस प्रकार होता है- 1,4,5,8,11,12
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