सावन 2020: मानसून की पहली बारिश के साथ ही सावन (Sawan 2020) के महीने की शुरुआत हो जाती है. इस साल सावन का महीना 6 जुलाई से शुरू हो रहा है. सावन का यह महीना 3 अगस्त को खत्म होगा. बता दें, इस साल सावन या फिर श्रावण मास (Shravan Month) में 5 सोमवार हैं. श्रावण महीने का अंत तीज या फिर रक्षाबंधन जैसे त्योहारों के साथ होता है. यह सभी त्योहार पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में धूम धाम से मनाए जाते हैं.
हालांकि, इस साल श्रावण मास के महीने में हर साल जैसी धूम-धाम देखने को नहीं मिलेगी. सावन के पहले सोमवार से ही मंदिरों में भगवान शिव और पार्वती के दर्शन और पूजा के लिए भक्तों की लाइन लग जाती है लेकिन कोरोनावायरस के कारण इस साल लोगों को अपने घरों में रहते हुए ही सावन मनाना होगा. इसके अलावा सावन के महीने में आयोजिक की जाने वाली कांवड़ यात्रा भी इस साल नहीं होगी.
देशभर में फैली कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के कारण सभी त्योहारों को लोगों को अपने घरों में ही मनाने की सलाह दी जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोनावायरस काफी तेजी से संक्रमित होता है और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में इसके फैलने का अनुमान भी ज्यादा रहता है. इस वजह से श्रद्धालुओं को इस साल सावन भी अपने घरों में रहकर ही मनाना होगा.
पंचाग के अनुसार सावन के महीने की प्रमुख तिथियां-
जुलाई 6- सावन का पहला सोमवार
जुलाई 13- सावन का दूसरा सोमवार
जुलाई 20- सावन का तीसरा सोमवार
जुलाई 27- सावन का चौथा सोमवार
अगस्त 3- सावन का पांचवा सोमवार और आखिरी सोमवार.
बता दें, 3 अगस्त को रक्षाबंधन भी है.
हिंदू परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार हिंदू केलैंडर का पांचवा महीना यानी कि श्रावण का महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है.
सावन के सोमवार का महत्व
मान्यता है कि सावन के महीने में शिवलिंग की विशेष पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है कि जो महिलाएं सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं उनके पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. साथ ही अविवाहित लड़कियों को मनपसंद जीवनसाथी मिलता है.
सावन में कैसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है. सबसे पहले जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगा जल और गन्ने के रस से महादेव का अभिषेक किया जाता है. इसके बद बेलपत्र, नीलकमल, कनेर, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, राई और फूल चढ़ाए जाते हैं. फिर धतूरा, भांग और श्रीफल चढ़ाने का विधान है. शिवलिंग के अभिषेक के बाद विधिवत् भगवान भोलेनाथ की आरती उतारी जाती है.
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