
Sant kabirdas Jayanti 2205 : संत कबीर दास जी न सिर्फ कवि, बल्कि समाज सुधारक भी थे. उनके दोहे आज भी समाज में प्रासंगिक बने हुए हैं. कबीरदास जी ने अपने दोहों के माध्यम से लोगों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है. माना जाता है कि संत कबीरदास जी का जन्म 1398 में उत्तर प्रदेश के बनारस में हुआ था. पंचांग के अनुसार, हर साल इनकी जयंती ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इस साल 648वीं जयंती है. आज के दिन कबीर पंथ के अनुयायी कबीरदास जी के दोहों का पाठ, कीर्तन और गोष्ठियों का आयोजन करते हैं. ऐसे में आप भी इस अवसर पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को सोशल मिडिया और मैसेज के माध्यम से दोहे भेजकर शुभकामनाएं दे सकते हैं....
कबीर दास जयंती विशेज - Kabir Das Jayanti dohe for Wishes

ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय ।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय ।।

जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ ।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ ।।

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।।

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ।।

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब।।

दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय।।

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहे, थोथा देई उड़ाय ।।

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।

जहां दया तहां धर्म है, जहां लोभ तहां पाप।
जहां क्रोध तहां काल है, जहां क्षमा तहां आप ।।

निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय।
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय ।।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर ।
पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ।।

साईं इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय ।
मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय ।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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