संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी. इस दिन सभी दुखों को खत्म करने वाले गणेश जी (Ganesha) का पूजन किया जाता है. साथ ही गौरी पुत्र गणेश जी (Ganesha) के लिए व्रत रखा जाता है. पूरे विधि-विधान से पूजा-पाठ किया जाता है. हर महीने दो बार चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) मनाई जाती है. पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2019) कहा जाता है और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. अगर यह चतुर्थी मंगलवार को पड़े तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं.
संकष्टी चतुर्थी: सकट का व्रत करने वालों को नहीं करने चाहिए ये काम
(फाल्गुन या फागुन संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi) 22 फरवरी को है.)
संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi) कब है?
वैसे तो हर महीने संकष्टी चतुर्थी आती है, लेकिन फागुन महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्थी का महात्म्य सबसे ज्यादा माना गया है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इस बार फाल्गुन या फागुन संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi) 22 फरवरी को है. इस संकष्टी को द्विजप्रिय संकष्टी के नाम से भी जाना जाता है.
संकष्टी चतुर्थी: पूजा के वक्त जरूर बोलें ये 1 मंत्र, जानें क्या है महत्व
(संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी के नाम से भी जाना जाता है.)
संकष्टी चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi 2019 Date And Time)
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी प्रारंभ: 22 फरवरी 2019 को सुबह 10 बजकर 49 मिनट से
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी समाप्त: 23 फरवरी 2019 की सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक
चंद्रोदय का समय: 22 फरवरी 2019 को रात 09 बजकर 24 मिनट
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी. इस दिन सभी दुखों को खत्म करने वाले गणेश जी का पूजन और व्रत किया जाता है. मान्यता है कि जो कोई भी पूरे विधि-विधान से पूजा-पाठ करता है उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं.
(संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी.)
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
- संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें.
- अब उत्तर दिशा की ओर मुंह कर भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें जल अर्पित करें.
- जल में तिल मिलाकर ही अर्घ्य दें.
- दिन भर व्रत रखें.
- शाम के समय विधिवत् गणेश जी की पूजा करें.
- गणेश जी को दुर्वा या दूब अर्पित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से धन-सम्मान में वृद्धि होती है.
- गणेश जी को तुलसी कदापि न चढ़ाएं. कहा जाता है कि ऐसा करने से वह नाराज हो जाते हैं. मान्यता है कि तुलसी ने गणेश जी को शाप दिया था
- अब उन्हें शमी का पत्ता और बेलपत्र अर्पित करें.
- तिल के लड्डुओं का भोग लगाकर भगवान गणेश की आरती उतारें.
- अब चांद को अर्घ्य दें.
- अब तिल के लड्डू या तिल खाकर अपना व्रत खोलें.
- इस दिन तिल का दान करना चाहिए.
- इस दिन जमीन के अंदर होने वाले कंद-मूल का सेवन नहीं करना चाहिए. यानी कि मूली, प्याज, गाजर और चुकंदर न खाएं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं