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This Article is From Oct 19, 2018

Sabarimala Temple: अभी तक कोई भी महिला सबरीमाला मंदिर में नहीं कर पाई प्रवेश, जानिए क्या है ये 800 साल पुरानी परंपरा

Sabarimala Temple: अभी तक इस मंदिर में 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकती थीं.

Sabarimala Temple: अभी तक कोई भी महिला सबरीमाला मंदिर में नहीं कर पाई प्रवेश, जानिए क्या है ये 800 साल पुरानी परंपरा
सबरीमाला मंदिर के बारे वो सभी बातें जो आपको मालूम होनी चाहिए
नई दिल्ली: Sabarimala Temple: केरल के सबरीमाला मंदिर में औरतों के प्रवेश पर फैसला आ चुका है. अब हर उम्र की महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं लेकिन बावजूद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के अभी तक कोई भी महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई है. केरल के इस मंदिर में औरतों के प्रवेश के विरोध में सड़कों पर लोग उतरे हुए हैं. वहीं, दो औरतों को 100 पुलिसकर्मियों की निगरानी में सबरीमाला ले जाया भी गया. लेकिन मंदिर परिसर में मौजूद पंडितों ने द्वार नहीं खोलने दिए. साथ ही पूजा रोकने की बात तक कह दी. बता दें फिलहाल 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है. इसी लैंगिक आधार पर भेदभाव पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाया. यह फैसला चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनाया. इस फैसले आने के साथ-साथ यहां सबरीमाला मंदिर के बारे में जानिए वो सभी बातें जो आपको मालूम होनी चाहिए. 

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सबरीमाला मंदिर
इस मंदिर में हर साल नवंबर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए भक्त उमड़ पड़ते हैं. क्योंकि बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है. मकर संक्रांति के अलावा नवंबर की 17 तारीख को भी यहां बड़ा उत्सव मनाया जाता है। मलयालम महीनों के पहले पांच दिन भी मंदिर के कपाट खोले जाते हैं. इनके अलावा पूरे साल मंदिर के दरवाजे आम दर्शनार्थियों के लिए बंद रहते हैं. भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास माना जाता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं.

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वहीं, आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में महिलाओं का जाना वर्जित है. खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं. यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं. इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे. 
 
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कौन थे अयप्पा?
पौराणिक कथाओं के अनुसार अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (विष्णु जी का एक रूप) का पुत्र माना जाता है. इनका एक नाम हरिहरपुत्र भी है. हरि यानी विष्णु और हर यानी शिव, इन्हीं दोनों भगवानों के नाम पर हरिहरपुत्र नाम पड़ा. इनके अलावा भगवान अयप्पा को अयप्पन, शास्ता, मणिकांता नाम से भी जाना जाता है. इनके दक्षिण भारत में कई मंदिर हैं उन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर है सबरीमाला. इसे दक्षिण का तीर्थस्थल भी कहा जाता है.

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क्या है खास
यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है. यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है, जिनके अलग-अलग अर्थ भी बताए गए हैं. पहली पांच सीढियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों से जोड़ा जाता है. इसके बाद वाली 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है. अगली तीन सीढियों को मानवीय गुण और आखिर दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है. 

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इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं. वह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीज़ें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी होती है. यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 
 
temple

कैसे पहुंचे
यह मंदिर 1535 ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है. इस मंदिर से पांच किलोमीटर दूर पंपा तक कोई गाड़ी लाने का रास्ता नहीं हैं, इसी वजह से पांच किलोमीटर पहले ही उतर कर यहां तक आने के लिए पैदल यात्रा की जाती है. रेल से आने वाले यात्रियों के लिए कोट्टयम या चेंगन्नूर रेलवे स्टेशन नज़दीक है. यहां से पंपा तक गाड़ियों से सफर किया जा सकता है. पंपा से पैदल जंगल के रास्ते पहाड़ियों पर चढ़कर सबरिमला मंदिर में अय्यप्प के दर्शन प्राप्त होते हैं. यहां से सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट तिरुअनंतपुरम है, जो सबरीमला से 92 किलोमीटर दूर है. 

देखें वीडियो - फिर उठा राम मंदिर का मुद्दा...
 

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