Deepak Rules In Puja Ghar: हिंदू धर्म में भगवान की पूजा करते वक्त मंदिर में दीपक (Deepk) जलाना शुभ कहा जाता है. हर तरह के पूजा पाठ और मांगलिक कार्यक्रमों में दीपक (Diya) जलाकर पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कहा जाता है कि भगवान के आगे दीपक प्रज्जवलित करने से वो खुश होकर जातक को आशीर्वाद देते हैं. ऐसे में लोग मंदिर में मिट्टी, तांबे और पीतल के दीपक जलाकर भगवान की पूजा करते हैं. लेकिन शास्त्रों में दीपक (light of deepk)जलाने को लेकर और उनकी सफाई को लेकर कुछ खास नियम बताए गए हैं (Deepak Cleaning Tips) जिनका पालन करना जरूरी माना जाता है. चलिए जानते हैं कि पूजा के दीपक को जलाने और उसकी साफ-सफाई के नियम क्या हैं. Kashi Vishwanath Dham : काशी विश्वनाथ धाम में 2 साल में 13 करोड़ श्रद्धालु ने किया दर्शन
मिट्टी के दीपक के नियम | Miitti Ke Deepak Ke Niyam
अगर आप मिट्टी का दीपक जलाते हैं तो उसे एक ही बार पूजा में जलाना चाहिए. चूंकि मिट्टी का दीपक जलाने की वजह से दीपक काला हो जाता है और काला रंग पूजा में अशुभ माना जाता है. इस लिहाज से मिट्टी के दीपक को एक ही बार पूजा में जलाया जा सकता है. इसके बाद आप इसे किसी नदी में प्रवाहित कर सकते हैं. मिट्टी के दीपक को जलाने से भगवान प्रसन्न होते हैं इसलिए अगर आप मिट्टी का दीपक जला रहे हैं तो कोशिश करें कि ये शुद्ध और साफ हो. मिट्टी का दीपक खरीदते समय ध्यान दें कि ये कहीं से टूटा फूटा या खंडित नहीं होना चाहिए.
तांबे और पीतल के दीपक के नियम | Tambe Aur Peetal Ke Deepak Ke Niyam
अगर आप मंदिर में भगवान की पूजा करते वक्त तांबे या पीतल के दीपक को जलाते हैं तो इनकी साफ सफाई जरूरी है. इन दीपकों को पूजा के बाकी सामान की तरह रोज साफ करना चाहिए. इनको रोज साफ करके गंगाजल से शुद्ध करने के बाद ही फिर से इस्तेमाल करना चाहिए. इस तरह के दीपकों को लेकर ध्यान रखना चाहिए कि ये कही से भी खंडित नहीं होने चाहिए. अगर ये खंडित हो गए हैं तो इनको पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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