क्या होती है रंगपंचमी, कहां खेली जाती है ये होली
नई दिल्ली:
होलिका दहन और रंगों भरी होली के पांचवें दिन आज मनाई जा रही है रंगपंचमी. इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाने के अलावा आसमान में भी रंग उड़ाते हैं. मान्यता है कि इस दिन एक-दूसरे के साथ नहीं बल्कि भगवान के साथ होली खेली जाती है. इस दिन आसमान पर रंग फेंककर सकारात्मक माहौल बनाया जाता है, जिसे भगवान के आशार्वाद के तौर पर देखा जाता है. यहां जानिए कि आखिर कहां खेली जाती है रंगपंचमी और क्या है खास.
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क्या है रंगपंचमी?
रंग के पांचवें दिन को रंगपंचमी कहा जाता है. होली के पांच दिन बाद इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस तीन सड़कों पर रंगों से भरे जुलूस निकाले जाते हैं.
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कहां खेली जाती है रंगपंचमी?
रंगों के इस पर्व का सबसे अच्छा नज़ारा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में दिखता है. इस दिन इन तीनों शहरों में जुलूस निकलता है, जहां लोग पूरे रास्ते एक-दूसरे को गुलाल लगाते और उड़ाते हुए आगे बढ़ते हैं. इस दिन घरों में खास पकवान भी बनाया जाता है जिसे पूरनपोली कहते हैं.
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रंगपंचमी की पौराणिक मान्यता
रंगों का यह पर्व चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इसलिए इसे रंगपंचमी कहा जाता है. इस पर्व को लेकर पौराणिक मान्यता है कि रंगों के जरिए रज-तम के प्रभावों को कम कर सात्विक स्वरूप निखरता है. इस दिन आसमान में उड़ाए जाने वाले रंग से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं, क्योंकि हरेक कण में सकारात्मक तरंगे पूरे माहौल में ऊर्जा उत्पन्न करती हैं. साथ ही यह भी मान्यता है कि आसमान से उड़ते रंग के जरिए भगवान भक्तों को आशीर्वाद भी देते हैं.
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क्या है रंगपंचमी?
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कहां खेली जाती है रंगपंचमी?
रंगों के इस पर्व का सबसे अच्छा नज़ारा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में दिखता है. इस दिन इन तीनों शहरों में जुलूस निकलता है, जहां लोग पूरे रास्ते एक-दूसरे को गुलाल लगाते और उड़ाते हुए आगे बढ़ते हैं. इस दिन घरों में खास पकवान भी बनाया जाता है जिसे पूरनपोली कहते हैं.
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रंगपंचमी की पौराणिक मान्यता
रंगों का यह पर्व चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इसलिए इसे रंगपंचमी कहा जाता है. इस पर्व को लेकर पौराणिक मान्यता है कि रंगों के जरिए रज-तम के प्रभावों को कम कर सात्विक स्वरूप निखरता है. इस दिन आसमान में उड़ाए जाने वाले रंग से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं, क्योंकि हरेक कण में सकारात्मक तरंगे पूरे माहौल में ऊर्जा उत्पन्न करती हैं. साथ ही यह भी मान्यता है कि आसमान से उड़ते रंग के जरिए भगवान भक्तों को आशीर्वाद भी देते हैं.
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